विदेश

लीबिया में बाढ़ के बाद अब महामारी का खतरा, समुद्र तट पर 100 KM तक तैरते शव

डर्ना (लीबिया)

अधिकारियों ने लीबिया में आई बाढ़ के बाद इसकी जांच की मांग की है. यह दुनिया की सबसे भयानक मानव त्रासदियों में से एक है. इस बात की जांच की मांग उठ रही है कि इस भीषण प्राकृतिक आपदा जिसने हजारों लोगों की जान ली और माल का नुकसान हुआ, वह कहीं किसी मानवीय त्रुटि की वजह से तो नहीं हुई.  रिपोर्ट बता रही हैं कि जो लोग बच गए हैं वह अपने प्रियजनों की तलाश में लगे हुए हैं. डर्ना बाढ़ के पीड़ितों के शव 100 किमी से अधिक दूर समुद्र तट पर बहते हुए पाए गए हैं.

10 सितंबर को जो लीबिया के डर्ना शहर में हुआ, उसे पूरी दुनिया कभी नहीं भूल पाएगी. यहां पर एक शक्तिशाली तूफान की वजह से एक विनाशकारी बाढ़ आई जिसने पलक झपकते ही पूरे शहर को लील लिया. बाढ़ का पानी पूर्वी शहर डर्ना के बांधों को तोड़ कर अंदर घुस गया और देखते ही देखते बहुमंजिला इमारतें और उसके अंदर सो रहे परिवार बह गए. मरने वालों की संख्या के आधिकारिक आंकड़े अलग-अलग हैं, लेकिन यह हजारों में हैं और हजारों की संख्या में लोग गायब भी हैं.

डर्ना के मेयर अब्दुलमेनम अल-गैथी ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विनाशकारी बाढ़ से जो तबाही हुई है उससे अकेले इस शहर में मरने वालों की संख्या 18,000 से 20,000 तक पहुंच सकती है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए उन्होंनें कहा कि मलबे और पानी में बड़ी संख्या में शवों को होने के बाद अब महामारी के फैलने का खतरा बन गया है.

शवों से महामारी फैलने के अंदेश को लेकर कोई साक्ष्य नहीं -रेडक्रॉस

विनाशकारी बाढ़ के चलते पीड़ितो के शवों को शहर से 100 किमी दूर तटों पर बहते हुए पाया गया है. वहीं BBC से बात करते हुए, डर्ना से 150 किलोमीटर से अधिक दूर टोब्रुक शहर में रहने वाले एक इंजीनियर नासिर अलमनसोरी ने जानकारी दी कि उनके शहर के करीब बाढ़ पीड़ितों के शव बह रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ धंसी हुई इमारत के नीचे भी लोग फंसे हुए हैं. लीबिया के स्वास्थ्य अधिकारी बीमारी फैलने के संभावित खतरे पर बारीक नजर बनाए हुए हैं. हालांकि रेडक्रॉस की फोरेंसिक यूनिट के प्रमुख पियरे गयोमार्च के मुताबिक, यह मानना की शवों से महामारी फैलने का अंदेशा होता है इसके समर्थन में कोई सबूत नहीं मिलते हैं.

इस मामले पर जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि ‘जिन लोगों की जान प्राकृतिक आपदाओं या सशस्त्र संघर्षों से घायल होकर जाती है, वे शायद ही कभी सेहत के लिए खतरा पैदा करते हों.  बल्कि वास्तव में, जो लोग प्राकृतिक आपदा जैसी घटना से बच जाते हैं, उनमें शवों की तुलना में बीमारी फैलने की संभावना अधिक होती है.’ हालांकि,  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की इस मसले पर अलग राय है, उनका मानना है कि जल स्रोतों के पास या उनमें शवों की मौजूदगी सेहत के लिए खतरा पैदा कर सकती है.

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button