नई दिल्ली में बंद हो सकता अफगानी दूतावास, तालिबान और पुरानी सरकार के राजदूतों में सत्ता संघर्ष
नई दिल्ली
भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुन्दजई का लंबे समय से तालिबान सरकार से तनाव चल रहा है। कुछ महीने पहले यह खबर आई थी कि तालिबान सरकार ने फरीद मामुन्दजई को काबुल वापस बुला लिया है और नई दिल्ली में ट्रेड काउंसलर के पद पर कार्यरत कादिर शाह को कार्यकारी राजदूत बना दिया है। फरीद मामुन्दजई 2020 से ही भारत में अफगानिस्तान के राजदूत हैं और फिलहाल गायब हैं। इस बीच खबरें आ रही हैं कि अफगानिस्तान नई दिल्ली में अपने दूतावास का परिचालन बंद करने पर विचार कर रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार के सूत्रों ने कहा कि नई दिल्ली में अफगान दूतावास ने कथित तौर पर इस मुद्दे पर एक कम्यूनिकेशन जारी किया है। सूत्रों के मुताबिक उस कम्यूनिकेशन की सामग्री की प्रामाणिकता की जांच की जा रही है। सूत्र ने कहा, "यह राजदूत के पिछले कई महीनों से भारत से बाहर रहने, कथित तौर पर दूसरे देश में शरण लेने, राजनयिकों के लगातार तीसरे देशों में जाने और दूतावास कर्मियों के बीच अंदरूनी कलह की खबरों के संदर्भ में है।"
यह घटनाक्रम तब आया है, जब पिछले कुछ महीनों से नई दिल्ली में अफगान दूतावास में सत्ता संघर्ष चल रहा है क्योंकि पिछले इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान द्वारा नियुक्त राजदूत फरीद मामुन्दजई काबुल में तालिबान सरकार के विदेश मंत्रालय से पद पर बने रहने के लिए संघर्ष कर रहे थे। तालिबान शासन ने विदेशों में कम से कम 14 मिशनों पर नियंत्रण कर लिया है और वहां पुरानी सरकार में बहाल राजदूतों को हटाकर अपने नामांकित व्यक्तियों को तैनात किया है। हालांकि, दिल्ली में अभी तक तालिबान सरकार का कोई नामांकित दूत नहीं आया है।
अप्रैल के अंत में अफगानी दूतावास में भड़की अंदरूनी कलह से वाकिफ भारतीय विदेश मंत्रालय ने किसी भी पक्ष का समर्थन नहीं किया है। सूत्रों ने कहा कि इसने दोनों पक्षों को बता दिया है कि यह एक आंतरिक मामला है जिसे उन्हें खुद ही सुलझाना होगा। इसी साल जून में विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने सवालों के जवाब में कहा था, ''हमारे नजरिए से यह अफगान दूतावास का आंतरिक मामला है और हमें उम्मीद है कि वे इसे आंतरिक रूप से ही सुलझा लेंगे।''
तालिबान के देश पर कब्ज़ा करने और अगस्त 2021 में अशरफ गनी सरकार के पतन के बाद भारत ने काबुल में अपना दूतावास बंद कर दिया था लेकिन, अभी भी उसके पास अफगानिस्तान में मानवीय सहायता के समन्वय के लिए एक तकनीकी टीम है।