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2025 तक कार्बन-न्यूट्रल हो जाएंगे अदाणी पोर्ट ऑपरेशन्स : गौतम अदाणी

अहमदाबाद

अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने शुक्रवार को घोषणा की कि समूह के सभी बंदरगाह ऑपरेशन वर्ष 2025 तक कार्बन-न्यूट्रल हो जाएंगे. समूह चेयरमैन ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट X (अतीत में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, "नेट-ज़ीरो पोर्ट ऑपरेशन का लक्ष्य 2040 है…"

गौतम अदाणी के पोस्ट में कहा गया, "2025 तक हम एकमात्र कार्बन-न्यूट्रल बंदरगाह ऑपरेशन के तौर पर राष्ट्रीय बेंचमार्क स्थापित करेंगे और 2040 तक APSEZ भी नेट-ज़ीरो हो जाएगा… हमारे क्लाइमेट-फ़्रेंडली बदलाव में सभी क्रेनों को इलेक्ट्रिफ़ाई किया जाना, सभी डीज़ल-आधारित इन्टर्नल ट्रांसफ़र वाहनों को बैटरी-आधारित ITV में बदलना, और 1000 मेगावाट की अतिरिक्त कैप्टिव रीन्यूएबल क्षमता स्थापित करना शामिल है…"

अदाणी समूह के चेयरमैन ने यह भी कहा कि उनके समूह ने वित्तवर्ष 2024-25 तक लगभग 5,000 हेक्टेयर में मैंग्रोव वृक्षारोपण का संकल्प लिया है.

उन्होंने X पर लिखा, "पर्यावरण की रक्षा के लिए हमारा समर्पण हमारे बढ़ते मैंग्रोव वृक्षारोपण में भी दिखाई देता है, जिसका उल्लेखनीय लक्ष्य वित्तवर्ष 2025 से पहले 5000 हेक्टेयर है… यह हरित भविष्य की दिशा में एक और कदम है और जलवायु प्रबंधन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का एक और प्रमाण…"

कोस्टल ईकोसिस्टम के लिए मैंग्रोव बेहद अहम हैं, क्योंकि वे मिट्टी के कटाव के ख़िलाफ़ प्राकृतिक ढाल प्रदान करते हैं और विभिन्न वनस्पतियों और जीवों की मदद करते हैं.

“हम दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी पार्क बनाने जा रहे हैं और हमें रिन्यूएबल एनर्जी में भारत की प्रभावशाली प्रगति में अहम भूमिका निभाने पर गर्व है. चुनौतियों से भरे रण रेगिस्तान में 726 वर्ग किमी में फैला यह प्रोजेक्ट अंतरिक्ष से भी दिखाई देता है. हम 2 करोड़ से अधिक घरों को बिजली देने के लिए 30 गीगावॉट का उत्पादन करेंगे.”

साथ ही उन्होंने लिखा, “इसके अलावा सिर्फ 150 किलोमीटर दूर हमारी कर्मभूमि मुंद्रा में हम सौर और पवन ऊर्जा के लिए दुनिया के सबसे गहन और इंटीग्रेटेड रिन्यूएबल एनर्जी मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम बना रहे हैं. सस्टेनेबल एनर्जी की दिशा में भारत के सफर में यह एक पड़ाव साबित होगा, जिससे सौलर एलायंस तथा आत्मनिर्भर भारत पहल के प्रति हमारी प्रतिबद्धता जाहिर होगी.”

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भारत 2021 में आयोजित COP26 में एक महत्वाकांक्षी पांच-भाग वाली “पंचामृत” प्रतिज्ञा के लिए प्रतिबद्ध है. इनमें 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म बिजली क्षमता तक पहुंचना, रिन्यूएबल एनर्जी से सभी एनर्जी की जरूरतों का करीब आधा हिस्सा जनरेट करना और साल 2030 तक उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कटौती करना शामिल है.

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