हर 10 दिन में नीतीश का साथ छोड़ रहा जेडीयू का एक नेता, 2024 में कैसे होगी मोर्चेबंदी?
बिहार
लोकसभा चुनाव में अब कुछ महीनों का ही वक्त बचा है, मगर बिहार में भारी राजनीतिक उठापटक हो रही है। 2024 के चुनाव में देश भर के विपक्षी दलों को एकजुट करने का संकल्प लेने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की खुद की पार्टी बिखरने लगी है। आलम ये हो गया है कि हर 10 दिन में एक नेता नीतीश का साथ छोड़कर जा रहा है। पहले उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू छोड़कर अलग पार्टी बनाई। उसके बाद पूर्व सांसद मीना सिंह बीजेपी में चली गईं। अब शंभूनाथ सिन्हा ने भी जेडीयू को अलविदा कह दिया। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि नीतीश की पार्टी तिनका-तिनका बिखर रही है तो वे 2024 में बीजेपी के खिलाफ मजबूत मोर्चेबंदी कैसे कर पाएंगे?
जेडीयू में संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष रहे उपेंद्र कुशवाहा ने 20 फरवरी को पार्टी से अलविदा कह दिया। इससे पहले करीब दो महीने तक उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू नेतृत्व पर कई सवाल उठाए। जेडीयू छोड़ने के बाद कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक जनता दल (रालोजद) नाम से नई पार्टी बनाई। इसके 10 दिन बाद ही 3 मार्च को आरा से सांसद रह चुकीं मीना सिंह ने भी जेडीयू को अलविदा कह दिया। जेडीयू छोड़ने के एक दिन बाद ही उन्होंने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल से मुलाकात की और हाल ही में वे भारतीय जनता पार्टी में चली गईं। इसके ठीक 10 दिन बाद 13 मार्च को जेडीयू के वरिष्ठ नेता शंभूनाथ मिश्रा ने भी पार्टी छोड़ दी। वे जेडीयू के प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता रह चुके थे। शंभूनाथ मिश्रा ने कहा कि जेडीयू अपने सिद्धांतों से भटक गई है। उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा की रालोजद ज्वॉइन करने के संकेत दिए हैं।
साल 2023 शुरू होने के बाद से जेडीयू में उथल-पुथल चल रही है। पार्टी के नेता एक-एक कर नीतीश कुमार को छोड़कर जा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या नीतीश कुमार का एनडीए छोड़कर महागठबंधन में जाने का फैसला सही है? क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा और मीना सिंह से लेकर शंभूनाथ सिन्हा तक, जेडीयू छोड़ने वाले सभी नेताओं ने नीतीश की आरजेडी से करीबियों पर नाराजगी जताई। कुशवाहा ने नीतीश कुमार द्वारा तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित किए जाने के फैसले को गलत बताया। मीना सिंह ने भी जेडीयू के आरजेडी-कांग्रेस के साथ गठबंधन करने पर नाखुशी जाहिर की और नीतीश का साथ छोड़ दिया। अब शंभूनाथ सिन्हा ने भी यही तेवर अपनाते हुए जेडीयू से इस्तीफा दिया है।
महागठबंधन में महारार, 2024 में मोर्चेबंदी कैसे करेंगे नीतीश?
सियासी गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि विपक्षी एकजुटता का संकल्प लेने वाले नीतीश कुमार से खुद की पार्टी नहीं संभल रही है, तो वे 2024 में कैसे बीजेपी के खिलाफ मजबूत मोर्चेबंदी करेंगे? नीतीश बिहार में जिस महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं, उसमें शामिल पार्टियों में भी विभिन्न मुद्दों को लेकर तकरार है। आरजेडी लंबे समय से जेडीयू पर तेजस्वी यादव को सीएम बनाने का दबाव बना रही है। कांग्रेस कैबिनेट में दो और मंत्रियों को शामिल करने की मांग को लेकर मुखर हो रही है। वहीं, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी भी अपने बेटे संतोष सुमन को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर चुके हैं। इसके अलावा सुधाकर सिंह लगातार सीएम नीतीश के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं और जेडीयू के कहने पर भी आरजेडी ने अब तक उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है।
अब सवाल उठ रहे हैं कि बिहार महागठबंधन में इतना घमासान मचा है तो नीतीश कुमार 2024 में देश भर के विपक्षी दलों को एक साथ लेकर कैसे चल पाएंगे। लोकसभा चुनाव का वक्त धीरे-धीरे करीब आता जा रहा है। नीतीश की विपक्षी एकता की मुहिम भी ठंडे बस्ते में है। जेडीयू और आरजेडी के नेता-कार्यकर्ता भले ही नीतीश को पीएम कैंडिडेट के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं मगर देश के अन्य विपक्षी दल अभी एकजुट होने के लिए तैयार नहीं हैं। नीतीश की यह मुहिम कितना रंग लाती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।