Uncategorized

लालू प्रसाद यादव से शुरू एक बहस, सम्राट चौधरी के बाप पर क्यों गए नीतीश

बिहार
बिहार में जातीय गणना और आरक्षण को लेकर आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से शुरू एक बहस अब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के पिता शकुनी चौधरी तक पहुंच गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को सम्राट चौधरी पर भड़कते हुए कहा- "उसके बाप को इज्जत मैंने दिया। उसकी उम्र कम थी तो उसके पिता ने मंत्री बनाया। रोज पार्टी बदलता है। उसके बात का कोई मतलब है। उसके पास कोई सेंस नहीं है। अंड-बंड बोलता रहता है। उसकी चर्चा मत करिए। आपने सवाल पूछा तो मैंने आपको बता दिया।" आम तौर पर नीतीश इस तरह की बातें किसी के बारे में नहीं करते लेकिन जेपी जयंती पर सरकारी कार्यक्रम के बाद पत्रकारों ने सम्राट चौधरी पर कुछ पूछा तो वो पूरी तरह बिफर पड़े।

पहले ये जानिए कि लालू ने क्या कहा और उसमें सम्राट चौधरी की एंट्री कैसे हुई जिसमें फाइनली नीतीश भी कूद पड़े। लालू यादव ने सोमवार को सोशल मीडिया पर जातीय गणना और आरक्षण के संदर्भ में लिखा था कि कैंसर का इलाज सिरदर्द की दवा से नहीं हो सकता। इस पर अगले दिन सम्राट चौधरी ने कहा कि बिहार में कोई एक आदमी राजनीतिक कैंसर बन गया है तो वो लालू यादव हैं और नीतीश कुमार लालू का बचाव कर रहे हैं। बीजेपी की सरकार बनेगी तो दोनों का इलाज किया जाएगा। बुधवार को जय प्रकाश नारायण की जयंती पर कार्यक्रम के बाद नीतीश जब मीडिया से बात कर रहे थे तो सम्राट चौधरी के इसी बयान पर उनसे सवाल किया गया था जिसके बाद उन्होंने सम्राट के पिता से लेकर खुद उनके कम उम्र में मंत्री बनने तक की चर्चा कर दी। नीतीश सम्राट के पिता शकुनी चौधरी पर क्यों चले गए, इसे समझने के लिए पूरी कहानी पीछे से समझनी होगी। नीतीश का शुकनी चौधरी से रिश्ता, शकुनी चौधरी का लालू यादव से रिश्ता और शकुनी के बेटे सम्राट चौधरी का लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों से कैसा रिश्ता रहा है, ये जब समझ लेंगे तो नीतीश की झल्लाहट का कारण समझ में आ जाएगा।
 
बात तब की है जब बिहार में जनता दल की सरकार थी और लालू यादव अपने दबदबे की नींव रख रहे थे। उनकी पार्टी के नेता नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नांडीस ने 1994 में समता पार्टी बना ली। 1995 के चुनाव से पहले मुंगेर जिला की तारापुर सीट से कांग्रेस विधायक शुकनी चौधरी भी समता पार्टी के साथ हो लिए। इससे पहले शकुनी चौधरी तारापुर से 1985 में निर्दलीय भी जीत चुके थे। उससे पहले सेना में 15 साल सेवा देकर राजनीति में आए थे। 1998 में समता पार्टी के टिकट पर खगड़िया सीट से लोकसभा भी गए। फिर दो साल में समता पार्टी से मोहभंग हुआ और 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के टिकट पर फिर से तारापुर से जीते।
 
शकुनी चौधरी का राजनीतिक पतन 2010 से शुरू हुआ। 2010 में शकुनी चौधरी को जेडीयू की नीता चौधरी ने हराया और 2015 में नीता के पति मेवालाल चौधरी ने हरा दिया। 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले ये फिर से नीतीश के पास लौटे, लेकिन जेडीयू से बगावत करके जीतन राम मांझी ने जब हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा नाम से नई पार्टी बनाई तो शकुनी चौधरी उनके साथ चले गए और हम के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। इस चुनाव में जब वो जेडीयू के मेवालाल चौधरी से हारे तो चुनावी राजनीति से ही संन्यास लेने की घोषणा कर दी। अब बात उनके बेटे सम्राट चौधरी की जिनका राजनीतिक करियर आरजेडी से शुरू होकर जेडीयू और हम के रास्ते 2017 में भाजपा तक पहुंचा और 6 साल के अंदर वो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनने में कामयाब रहे। सम्राट चौधरी का राजनीतिक जीवन ही विवाद के साथ शुरू हुआ और पहली बार ही सीधे मंत्री बने सम्राट को राज्यपाल के हाथों बर्खास्त होने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था। कहा जाता है कि  शकुनी चौधरी के कहने पर लालू ने राबड़ी देवी सरकार में उनको 1999 में मंत्री बनवा दिया। समता पार्टी के नेता पीके सिन्हा और रघुनाथ झा ने कार्यवाहक राज्यपाल जस्टिस बीएम लाल और राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) एके बसु से शिकायत में कहा कि सम्राट की उम्र मंत्री बनने के लिए न्यूनतम वर्ष से कम है और इनको मंत्री बनाना अवैध है। राज्यपाल ने सीईओ को 25 दिन में जांच रिपोर्ट देने कहा।
 
अगले राज्यपाल सूरजभान ने चुनाव आयोग की रिपोर्ट पर एक्शन लिया और सम्राट चौधरी के जन्मदिन 16 नवंबर के ही दिन उनको मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। अगले दिन ऑफिस जाने पर अड़ गए तो राजभवन से तकरार टालने के लिए लालू ने समझाया और सम्राट इस्तीफा देकर शांत हुए। सम्राट चौधरी ने बर्थडे पर 31 कैंडल का केक काटा और कहा कि उनके मां-पिता अगर कह रहे हैं कि वो 31 साल के हैं तो वो 31 के हैं। इसके बाद सम्राट ने 2000 का विधानसभा चुनाव आरजेडी के टिकट पर परबत्ता सीट से जीता। फरवरी 2005 का चुनाव वो जेडीयू के आरएन सिंह से हार गए। अक्टूबर 2005 के चुनाव में उनका नामांकन उम्र विवाद की भेंट चढ़ गया तो उन्होंने भाई राजेश चौधरी को लड़ाया लेकिन आरएन सिंह ने उनको भी हरा दिया। आरजेडी के टिकट पर 2010 में वो दोबारा जीते। आरजेडी ने इस बार सम्राट चौधरी को विधानसभा में पार्टी का मुख्य सचेतक बनाया। 2014 के लोकसभा चुनाव में लालू ने खगड़िया सीट कांग्रेस को दे दी तो वहां से लड़ने को बेताब सम्राट ने आरजेडी के 22 में 13 विधायकों को साथ लेकर पार्टी तोड़कर नीतीश सरकार का समर्थन करने का दावा किया था। बाद में 13 में 9 एमएलए लालू क

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button