विदेश

बर्मिंघम में लग रहा 5 मीटर ऊंचा ‘हिजाब लेडी’ का स्‍टैच्‍यू , यहाँ रहते हैं सबसे ज्‍यादा पाकिस्‍तानी

लंदन

 एक तरफ दुनियाभर की महिलाएं हिजाब हटाकर अपनी जिंदगी को बदलने की जद्दोजहद में लगी हुई हैं तो दूसरी तरफ यूके में ल्‍यूक पेरी नामक एक कलाकार ने हिजाब पहने एक महिला की कई फीट ऊंची प्रतिमा तैयार कर दी है। पेरी ने हिजाब पहनने वाली महिलाओं को श्रद्धांजलि देने के मकसद से 'स्ट्रेंथ ऑफ द हिजाब' नाम से एक स्‍टैच्‍यू बनाया है। जहां बीबीसी ने इसे विश्व स्तर पर अपनी तरह की पहली कलाकृति बताया है तो वहीं इसकी वजह से आलोचक यूके पर निशाना साध रहे हैं। यह प्रतिमा इंग्‍लैंड के बर्मिंघम में लगाई जा रही है।

अगले महीने उद्घाटन
पांच मीटर ऊंची और लगभग एक टन के वजन वाली इस मूर्ति का अगले महीने इंग्लैंड के वेस्ट मिडलैंड्स के स्मेथविक में अनावरण किया जाएगा। यह मूर्ति लिगेसी वेस्ट मिडलैंड्स की तरफ से बनाई गई है। यह संस्‍था जो बर्मिंघम में युद्ध के बाद बसे प्रवासी समुदायों की विरासत का जश्न मनाने वाला एक चैरिटी संगठन है। मूर्ति के बारे में कलाकार पेरी ने बताया, 'हिजाब की ताकत एक हिस्‍सा है जो उन महिलाओं का प्रतिनिधित्व करता है जो इस्लामी आस्था के तहत हिजाब पहनती हैं।' उनकी मानें तो हिजार समुदाय का बहुत कम प्रतिनिधित्व करता है लेकिन काफी महत्वपूर्ण है।

हिजाब बहुत जरूरी!
पेरी ने इस्लाम और उसकी परंपराओं को मजबूती प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया है। उन्‍होंने कहा है कि हिजाब समुदाय का एक अभिन्न हिस्‍सा है। उनकी मानें तो हिजाबी महिलाओं को समझने की जरूरत है। पेरी ने कहा कि हिजाब लेडी की डिजाइन को मंजूरी देने के लिए समुदाय के साथ काम करना वास्तव में रोमांचक रहा है। इस स्‍टैच्यू पर विवाद छिड़ गया है। इसके बावजूद पेरी ने यूके में रहने वाले सभी व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने के मकसद से समुदायों के बीच एकता और समझ को बढ़ावा देने की जरूरत की बात कही है।

कितने पाकिस्‍तानी बर्मिंघम में
साल 2021 के आंकड़ों के मुताबिक बर्मिंघम में कुल 355384 एशियाई हैं। इनमें से 66519 भारतीय और 195102 पाकिस्‍तानी हैं। पेरी का कहना है कि इस बात की आशंका है कि यह स्‍टैच्‍यू विवादों में घिर सकता है और कई वजहों से आलोचकों की नजर में आ सकता है। लेकिन उन्‍होंने इस विवाद से पल्‍ला झाड़ लिया है और जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं उन्‍हें मानने से ही इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि इसमें सकारात्‍मकता को तलाशने की जरूरत है।

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