महिला आरक्षण को लेकर सपा का नया दांव, अखिलेश ने बताया महाझूठ; रामगोपाल ने BJP के OBC सांसदों को कोसा
लखनऊ
मोदी कैबिनेट से मंजूरी के बाद महिला आरक्षण विधेयक को जहां संसद के दोनों सदनों से पास करने की तैयारी है वहीं इस पर देश भर में सियासी हलचलें तेज हो गई है। क्रेडिट वॉर में हर नेता और राजनीतिक दल शामिल है। इस बीच समाजवादी पार्टी ने नया दांव चल दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने X पर एक प्रतिक्रिया में कहा कि नयी संसद के पहले दिन ही भाजपा सरकार ने ‘महाझूठ’ से अपनी पारी शुरू कर दी है।
अखिलेश ने कहा है कि जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण विधेयक को लागू नहीं किया जा सकता। इसमें कई साल लग जाएंगे, तो भाजपा सरकार को इस आपाधापी में महिलाओं से झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी। सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा सरकार न जनगणना के पक्ष में है न जातिगत गणना के, इनके बिना तो महिला आरक्षण संभव ही नहीं है। ये आधा-अधूरा बिल ‘महिला आरक्षण’ जैसे गंभीर विषय का उपहास है, इसका जवाब महिलाएं आगामी चुनावों में भाजपा के विरूद्ध वोट डालकर देंगी।
वहीं, पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने बीजेपी के दलित और ओबीसी वर्ग के सांसदों को कोसते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी ने महिला आरक्षण में सदैव ओबीसी, दलित, आदिवासी और मायनॉरिटी की महिलाओं के लिए आबादी के अनुपात में आरक्षण की मांग की है। दुर्भाग्य से संसद में इन दबे-पिसे और वंचित वर्गों की विरोधी मानसिकता के सदस्यों की भरमार है। बीजेपी में जो इन वर्गों के सदस्य हैं उनके मुँह पर ताला है।वे केवल एमपी बने रहने के लिए पिछड़ों के हक़ों की हत्या होते देख कर भी मुँह बंद किए रहते हैं। समाजवादी पार्टी को उम्मीद है कि आज नहीं तो कल संसद में वंचित समाज के हमदर्द सदस्यों का बहुमत होगा और हम पिछड़ों, दलित, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को न्याय दिलाने में सफल होंगे।
पीडीए महिलाओं को दिया जाए आरक्षण
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन तो किया है लेकिन उसमें पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की महिलाओं के लिए भी आरक्षण देने की बात कही है। अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर कहा कि महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए। इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (PDA) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए।