मानसून की बेरुखी से धान रोपनी हुई सिर्फ 32 फीसदी, धान की फसल हो रही खराब
बोकारो
झारखंड के कुछ इलाकों में मानसून के दगा देने के कारण किसान त्राहिमाम कर रहे हैं। खेतों में लगी फसलों को बचाना मुश्किल हो रहा है। बारिश नहीं होने पर उसका फसलों के आच्छादन पर भी प्रतिकुल असर पड़ा है। सर्वाधिक असर धान की रोपनी पर पड़ा है। रोपनी नहीं होने से धान के बिचड़े जहां खराब हो रहे हैं।
वहीं रोपे गए धान के पौधों को भी बचाना मुश्किल हो रहा है। अगस्त महीने में वास्तविक बारिश 208 मिमी रिकॉर्ड किया गया जबकि सामान्य बारिश 278.2 मिमी का रिकॉर्ड है। सितंबर महीने में औसत बारिश अबतक महज 45.5 मिमी बारिश हुई है। बारिश नहीं होने के कारण धान की रोपनी का लक्ष्य 55 हजार हेक्टेयर अच्छादन का था। उसके विरूद्ध महज 17 हजार 946 हेक्टेयर(32.63 प्रतिशत) में ही धान की रोपनी हुई है।
अबतक मक्का 27 हजार 200 हेक्टेयर के विरूद्ध 24 हजार 506 हेक्टेयर(90), दलहन 44 हजार 800 हेक्टेयर लक्ष्य के विरूद्ध 30 हजार 655 हेक्टेयर(68.43), तेलहन 5100 हेक्टेयर के विरूद्ध 3822 हेक्टेयर(74.95) व मोटा अनाज 3610 हेक्टेयर के विरूद्ध महज 131 हेक्टेयर(3.63) में ही बुवाई हो सकी।
बारिश नहीं होने के कारण सभी फसलों को बचाने में किसानों का जद्दोजहद करना पड़ रहा है। विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक अबतक सितंबर महीने में जिलांतर्गत गढ़वा प्रखंड में 18 मिमी, डंडा प्रखंड में 52.2, बरडीहा में 35.4, विशुनपुरा में 69.7, केतार में 59.3, सगमा में 31.8, बड़गड़ में 79, मेराल में 31.4, डंडई में 23, मझिआंव में 76.2, कांडी में 60, रंका में 13, चिनियां में 22.8, रमकंडा में 53.2, भंडरिया में 53.5, नगर ऊंटारी में 45.2, रमना में 42.5, धुरकी में 27.5, भवनाथपुर में 69.6 व खरौंधी में 46.5 मिमी बारिश हुई है।