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वीकेंड को यादगार बनाना है तो चले आइए गया, देश-दुनिया में प्रसिद्ध हैं यहां के तीर्थ स्थल

बिहार

बिहार के प्रमुख टूरिज्म प्लेस की बात करें तो गया का नाम सबसे ऊपर आता है। ये शहर भगवान बुद्ध के लिए जानी जाती है। दरअसल यहीं पर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसके अलावा गया हिंदू धर्म के लिए भी खास है। क्योंकि यहां हर साल सैकड़ों की संख्या में लोग अपने पूर्वजों का पिंड दान करने आते हैं। अगर आपको प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर देखने में दिलचस्पी है तो गया के तीर्थ स्थल आपको काफी पसंद आएंगे। इन मंदिरों की बनवाट देखकर आप मंग्नमुग्ध हो जाएंगे।  

महाबोधि मंदिर
भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक महाबोधि मंदिर है। भगवान बुद्ध को समर्पित यह मंदिर पूरी तरह ईंट से बना हुआ है। यहां बुद्ध की भूमिस्पर्शन मुद्रा में 52 मीटर की सोने की मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर को लेकर ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक ने करवाया था। हालांकि बाद में धीरे-धीरे मंदिर का विस्तार होता रहा। इस स्थान के बारे मान्यता है कि बुद्ध ने यहीं पर पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान की प्राप्ति की। आज भी यहां पीपल के पेड़ देखने को मिल जाते हैं। यह बोधि वृक्ष के पांचवी पीढ़ी का है। महाबोधि मंदिर की खूबसूरती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके दीवारों पर कई बेहतरीन नक्काशियां देखने को मिलता है। साल 2002 में यूनेस्को ने इसे हेरिटेज की लिस्ट में शामिल किया।

विष्णुपद मंदिर
बिहार के प्रमुख हिंदू मंदिरों में से गया के फल्गु नदी के किनारे विष्णुपद मंदिर है। यहां हर साल लोग पिंड दान करने आते हैं। गर्भगृह में चांदी का अष्टकोण कुंड स्थापित है। 100 फीट ऊंचे इंस मदिर में 33 पिलर हैं। मंदिर काले ग्रेनाइट पत्थरों से बना हुआ है। इतिहासकरों की मानें तो इसका निर्माण इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने करवाया था। हालांकि इस स्थान को लेकर एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। जिसके मुताबिक गयासुर राक्षस को वरदान प्राप्त था कि जो भी उसकी तरफ देखेगा उसे मोक्ष मिल जाएगा। इसका फायदा गलत लोगों को भी मिलने लगा। इस पर भगवान विष्णु ने गयासुर का अंत करने के लिए उसके सिर पर दाहिना पैर रखकर उसे चट्टान में दबा दिया। तब से यहां उनके पांव के निशान पड़ गए।

डुंगेश्वरी गुफा
अगर एडवेंचर के शौकिन हैं तो डुंगेश्वरी गुफा जा सकते हैं। पहाड़ पर स्थित इस गुफा में बुद्ध की छह फीट की प्रतिमा स्थापित है। दरअसल इस स्थान को लेकर कहा जाता है कि जब बुद्ध अपनी तपस्या के कारण बेहद कमजोर हो गए थे तब पास के गांव की रहने वाली सुजाता नाम की महिला ने उन्हें खाना दिया था।

 

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