नए धर्म की जरूरत है; सनातन विवाद के बीच बोले आचार्य दिनेश प्रसाद स्वामी, गुजरात में बड़ा विवाद
गांधीनगर
उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को लेकर जो टिप्पणी की उसे लेकर विवाद अभी थमा नहीं था कि गुजरात में एक बार फिर धर्म को लेकर बयानबाजी हुई है। राज्य के एक प्रमुख हिंदू संगठन, स्वामीनारायण वडताल संप्रदाय के एक सदस्य ने 'सनातन धर्म' पर कटाक्ष करते हुए 'एक नए धर्म की जरूरत' बताई है। हिंदू संगठन के संत आचार्य दिनेश प्रसाद स्वामी ने कहा, 'हमें मंदिरों से देवी-देवताओं की मूर्तियों को हटाने की जरूरत है। हमें एक नया धर्म बनाने की जरूरत है।' यह टिप्पणी 28 अगस्त को की गई थी और गुजरात में 'सनातन धर्म' समूहों ने इसकी जबरदस्त आलोचना की थी।
इसके चलते उन तस्वीरों को हटाया गया, जिनमें भगवान हनुमान को 19वीं सदी के संत सहजानंद स्वामी, जो स्वामीनारायण संप्रदाय के संस्थापक भी थे, के सामने हाथ जोड़कर घुटने टेकते हुए दिखाया गया था। दिलच्सप बात यह है कि इस विवाद पर बीजेपी ने चुप्पी साध रखी है। जबकि पार्टी ने 'सनातन धर्म' पर तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी की बड़े पैमाने पर निंदा की थी।
'सनातन धर्म' का पालन करने वाले संगठन हिंदू धर्म आचार्य सभा के सदस्य, उन तस्वीरों को लेकर नाराज थे जिसमें भगवान हनुमान को भगवान राम के अलावा किसी और के सामने घुटने टेकते हुए दिखाया गया था। स्वामीनारायण संप्रदाय और सनातन धर्म समूहों के बीच तनाव हमेशा बना रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पिछले हफ्ते स्वामीनारायण वडताल संप्रदाय के नेताओं और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेताओं के साथ बैठक करनी पड़ी थी।
एक बयान में, हिंदू धर्म आचार्य सभा ने इस बात पर जोर दिया कि सभी हितधारक इस बात से सहमत हैं कि हिंदू धर्म के व्यापक हित के लिए विवाद को खत्म कर देना चाहिए। सोमवार को एक बैठक के दौरान, संगठन ने एक बयान जारी कर कहा, 'द्वारका पीठ शंकराचार्य और वडताल के आचार्य राकेश प्रसाद महाराज के आशीर्वाद से, सभी संतों ने सर्वसम्मति से विवाद को समाप्त करने का संकल्प लिया।' दूसरी घटना में स्वामीनारायण संत ब्रम्हस्वरूपदास ने पाटीदारों की उपजाति लेवा-पटेल समुदाय की 'कुलदेवी' को लेकर विवादास्पद बयान दिया है।
उन्होंने कथित तौर पर कहा, 'महाराज (स्वामीनारायण) ने अपने गीले कपड़ों का पानी कुलदेवी खोडियार माताजी पर छिड़का। इसके बाद ही आपकी कुलदेवी सत्संगी बन गईं। माताजी खुद स्वामीनारायण संप्रदाय को अपनाने वालों को पूजती हैं। जब आप स्वामीनारायण संप्रदाय में परिवर्तित हो जाते हैं, तो आपको अपनी कुलदेवी या कुलदेवता पर विश्वास करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि स्वामीनारायण भगवान सर्वोच्च और सबसे ऊपर हैं।' गुजरात के मोरबी में भक्तों और संतों ने इस टिप्पणी के लिए संत से माफी मांगने को कहा है। इसके लिए उन्होंने मंगलवार को जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा।