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तालिबान के विभिन्न गुटों में बंटने से अफगानिस्तान गृह युद्ध की ओर बढ़ रहा है: पूर्व अफगानी कमांडर

वाशिंगटन
अफगानिस्तान के पूर्व कमांडर ने कहा कि अमेरिकी सेना के दो साल पहले अचानक काबुल छोड़ने के बाद देश में गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो रही है। तालिबान अब गुटबाजी से पीड़ित है और यह तेजी से विदेशी आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बनता जा रहा है।

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर वर्ष 2021 में कब्जे के दौरान सेना के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल हिबतुल्लाह अलीजई ने एक साक्षात्कार में कहा था, ''मेरा मानना है कि अफगानिस्तान में स्थिति बहुत गंभीर और खतरनाक है और यह एक खतरनाक दिशा की तरफ बढ़ रही है। इस स्थिति में अफगानिस्तान में गृह युद्ध या फिर देश विभाजित हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बीते दो वर्षों में इस पर आतंकवादियों का नियंत्रण रहा है और इसका शासन उन्हीं के हाथों में है।''

अलीजई वर्तमान में अमेरिका में रह रहे हैं और उन्होंने हाल में देश के बाहर अफगानिस्तान के लोगों को एकजुट करने के लिए एक पहल शुरू की है।

अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति पर गहरी निराशा व्यक्त करते हुए पूर्व कमांडर ने अफगानिस्तान और उसके लोगों को अचानक तालिबान के रहम पर छोड़ने के लिए जो बाइडन प्रशासन को दोषी ठहराया।

उन्होंने कहा कि तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों की संख्या बढ़ी है।

पूर्व कमांडर ने आरोप लगाया कि अल-शबाब जैसे अफ्रीकी आतंकवादी समूहों ने भी अफगानिस्तान में अपने पैर जमा लिए हैं और अपने आतंकवादियों को प्रशिक्षण देना भी शुरू कर दिया है।

उन्होंने कहा, ''अफगानिस्तान में ये सब कुछ तालिबान के शासन में हो रहा है।''

अलीजई ने कहा, ''यही स्थिति है। अल-कायदा सक्रिय है। दाएश अधिक से अधिक सक्रिय हो रहा है और विभिन्न हिस्सों में तालिबान शासन के खिलाफ कई विरोधी समूहों की घोषणा और स्थापना की जा रही है, जो निश्चित रूप से अफगानिस्तान को एक और गंभीर गृह युद्ध या संभावित विभाजन (अफगानिस्तान) की ओर ले जाएगा।''

एक सवाल के जवाब में अलीजई ने कहा कि तालिबान के तहत अफगानिस्तान आतंकवादियों के लिए पनाहगाह बनता जा रहा है।

उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि उस समय बाइडन प्रशासन ने या खासतौर पर स्वयं बाइडन ने बहुत बड़ी भूल की थी। उनके पास अफगानिस्तान के बारे में अधिक जानकारी जुटाने तथा देश की स्थिति के बारे में थोड़ा और गहराई से जानने का अवसर था। लेकिन यह निर्णय बहुत ही जल्दबाजी में लिया गया और यहां तक कि फैसले के वक्त अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति के बारे में भी नहीं सोचा गया।''

उन्होंने कहा, ''अगर वह इन सबके के बाद भी नहीं सुनते तो अफगानिस्तान वर्ष 2001 के पहले से भी बदत्तर स्थिति में हो जाएगा।”

अलीजई के अनुसार, तालिबान पूरे अफगानिस्तान को नियंत्रित नहीं कर रहा है। तालीबान बहुत बुरी स्थिति में है।

तालिबान में भी चार धड़े हैं – कंधारी तालिबान, हेलमंदी तालिबान, हक्कानी समूह और अमेरिका के साथ बातचीत के लिए दोहा गए तालिबानी प्रतिनिधियों का नेतृत्व करने वाला समूह।

 

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