बिलासपुर
यात्रियों की सुविधा को सर्वोपरि मानते हुए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में जहां एक ओर आधारभूत संरचना के विकास कार्य युद्ध स्तर पर किए जा रहें है तो वहीं स्टेशनों पर आधुनिक सुविधाओं से संबन्धित यात्री सुविधाओं को उपलब्ध कराने के कार्य भी प्राथमिकता से किए जा रहे है।
कोरोनाकाल के दौरान कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर पूरे देश में लॉकडाउन था। भारत सरकार के द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार सभी यात्री गाडि?ों का परिचालन बंद किया गया था ताकि संक्रामण का फैलाव नहीं हो। इस विषम परिस्थितियों में भी भारतीय रेल ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन का परिचालन किया ताकि लोगों को उनके घरों तक पहुंचाया जा सके। आवश्यक वस्तुओं के परिचालन के लिए पार्सल स्पेशल ट्रेनें चलाई गई, ताकि लोगों को उनकी रोजमर्रा के जीवन में उपयोग होने वाली वस्तुओं का अभाव न हो। अस्पतालों में जीवनदायनी आॅक्सीजन की जरूरतों को पूरा करने के लिए के लिए आॅक्सीजन एक्सप्रेस चलाए गए। ट्रेनों के माध्यम से सम्पूर्ण देश में आवश्यक दवाइयों की आपूर्ति सुनिश्चित की गई। इस दौरान भी लॉकडाउन की विषम परिस्थिति में बिजलीघरों के लिए कोयले का परिवहन होता रहा, ताकि घरों एवं उद्योगों में बिजली की कमी न हो। जब सब लोग कोविड से बचने अपने अपने घरों में थे इस दौरान अपनी जान की परवाह न करते हुए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अनेक रेलकर्मी अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए कोरोना से संक्रमित हो गए और उनमें से 200 से भी अधिक रेलकर्मियों ने अपनी जान गंवा दी।
अभी अभी दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के ट्रेनों को लेकर एक आंकड़ा प्रसारित किया जा रहा है, जिसमें पिछले साढ़े तीन सालों में 67000 से भी अधिक ट्रेनों को कैंसिल करने की बात कही गई है। ये 67000 ट्रेनों को कैंसिल करने वाले आंकड़ो में से लगभग 95 प्रतिशत इसी कोरोनाकाल के दौरान का है, जब पूरे देश में यात्री ट्रेनों का सम्पूर्ण परिचालन बंद किया गया था। रेल विकास कार्यों के दौरान कैंसिल ट्रेनों का प्रतिशत प्रतिदिन चलने वाली गाडि?ों का महज 1 प्रतिशत से भी कम है। कोविड मामलों में आई कमी के बाद क्रमश: अब कोविड प्रोटोकाल के अनुसार सभी सावधानियाँ बरतते हुए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में सभी यात्री गाडि?ों का नियमित परिचालन किया जा रहा है। इसके साथ ही कोरोनाकाल के दौरान बंद किए गए सभी ट्रेनों को शुरू कर दिया गया है।
कोरोनाकाल के बाद कई नई ट्रेन सेवा का भी शुभारंभ किया गया है, जिनमें मध्य भारत की पहली वंदे भारत ट्रेन, जो कि बिलासपुर एवं नागपुर के बीच चलाई जा रही है, अंबिकापुर से दिल्ली, अंतागढ़ से रायपुर, रीवां से इतवारी, छिंदवाड़ा-इतवारी, जबलपुर-चंदाफोर्ट, छिंदवाड़ा-नैनपुर आदि नई ट्रेन सेवाओं की शुरूआत इनमें शामिल है। दल्लीराझरा-रावघाट नई रेल लाइन परियोजना के अंतर्गत अंतागढ़ से ताड़ोकी के बीच 17 किलोमीटर नई रेल लाइन का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। आने वाले डेनोन में इसमें यात्री सेवा का शुभारंभ किया जाएगा। इन सेवाओं से छत्तीसगढ़ प्रदेश के रेल संपर्क विहीन क्षेत्र रेल मानचित्र से जुड़कर त्वरित विकास की ओर अग्रसर होंगे, वनवासी बाहुल्य क्षेत्र देश के महत्वपूर्ण नगरों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ कर विकास की ओर बढ़ेगा, अपेक्षाकृत दुर्गम क्षेत्रों का समन्वित तथा चहुंमुखी विकास प्रशस्त होगा, क्षेत्र के निवासियों को तेज, सुगम एवं सस्ता परिवहन उपलब्ध होगा तथा छात्रों को उच्च शैक्षिक संस्थानों एवं मरीजों को अच्छे अस्पतालों तक पहुँच आसान होगा। इसके अतिरिक्त इस दौरान दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में बिलासपुर से दाधापारा, बिल्हा, गतौरा, जयरामनगर, उसलापुर, घुटकू, चांपा से कोरबा, नागपुर से भिलाई के बीच 362 किलो मीटर सेक्शन पर आॅटोमैटिक सिग्नल प्रणाली स्थापित किया गया है, जिससे एक ही सेक्शन में कई ट्रेनों का संरक्षित परिचालन सुनिश्चित हुआ है। बिलासपुर से नागपुर की सेक्शनल स्पीड बढ़ाकर राजधानी रूट के समकक्ष 130 किलो मीटर प्रति घंटा की जा चुकी है तथा बिलासपुर से झारसुगुड़ा के मध्य यह कार्य प्रगति पर है।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में वर्तमान में रेल विकास से संबन्धित कई परियोजनाओं पर तीव्र गति से कार्य किया जा रहा है। हालांकि इन रेल विकास कार्यों के दौरान यात्रियों को थोड़ी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, परंतु भविष्य में इन परियोजनाओं का लाभ इस क्षेत्र के यात्रियों को मिलेगा। भारतीय रेल हमेशा ही अपने यात्रियों की सुविधा के लिए कार्य करती रही है। संरक्षा एवं सुरक्षा के साथ यात्रियों को बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान करना भारतीय रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता है।