भोपालमध्यप्रदेश

नियुक्ति के 17 साल बाद भी रिफ्रेसर 9000 के एजीपी और पदनाम से वंचित

भोपाल

उच्च शिक्षा विभाग ने 2004-06 में बैकलाग के पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्तियां की थीं, जिन्हें अभी तक पदोन्नति के साथ 9 हजार एजीपी नहीं मिल सका है। इस संबंध में उच्च शिक्षा मंत्री अधिकारियों को समय रहते कार्यपूर्ण करने के निर्देश दिए हैं। अब  जल्द ही समस्याओं का निराकरण हो जाएगा।  

विभाग ने  बैकलाग के करीब 500 पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती कराई थी। इस दौरान कई प्रोफेसरों के पास पीएचडी नहीं थी। इस दौरान विभाग ने निर्णय लिया कि उन्हें 2017 तक पीएचडी, नेट, स्लेट करना होगा। यहां तक उन्होंने एजीपी (एकेडमिक ग्रेड-पे) लेने के लिए ओरिएंटल और रिफ्रेशर कोर्स करना होंगे। योग्यता करने के बाद प्रदेश के करीब 500 प्रोफेसरों को समय अवधि समाप्त होने के बाद पदोन्नति और एजीपी नहीं मिल सका है। जबकि वे अपने अधिकार को हासिल करने के लिए राज्यपाल और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव से मिलकर अपनी पीड़ा सुनाकर ज्ञापन सौंप चुके हैं। जानकारी के मुताबिक प्रोफेसरों की समस्याएं खत्म करने के लिए फाइल को मंत्रालय भेज दिया गया है।

राज्यपाल ने बढ़ाई थी समय अवधि  : नियुक्ति के दौरान कई प्रोफेसर के पास पीएचडी, नेट और स्लेट नहीं था क्योंकि पीएचडी और नेट व स्लेट करने में ज्यादा समय लगता है, तो राज्यपाल के निर्देश पर विभाग ने नेट, पीएचडी और स्लेट की समय अवधि बढ़ाकर 2017 कर दी थी। अब सभी असिस्टेंट प्रोफेसरों ने नेट, स्लेट और पीएचडी 2017 के पहले पूर्ण कर ली है। इसके बाद भी उन्हें एजीपी के साथ प्रोफेसर का पदनाम और पदोन्नति नहीं मिल सकी है।  

ऐसे मिलेगा है एजीपी
नियुक्ति के बाद पांच साल की सर्विस में एक-एक ओरिएंटेशन और रिफ्रेशर कोर्स करने पर प्रोफेसर को सात हजार का एजीपी दिया जाता है। इसके पांच साल की और सर्विस होने पर दो-दो रिफ्रेसर और ओरिएंटेशन प्रोग्राम करने पर आठ हजार एजीपी हो जाता है। इसके तीन साल की और सर्विस और वे  9 एजीपी के साथ प्रोफेसर पदनाम लेने के योग्य हो जाते हैं। मतलब, नियुक्ति के 17 साल बाद, तीन रिफ्रेसर और ओरिएंटेशन प्रोग्राम करने के बाद समस्त योग्यता रखते हुए प्रोफेसर 9000 के एजीपी और पदनाम से वंचित बने हुए हैं।

प्रोफेसरों को एजीपी और पदनाम देने के लिए समस्त कार्रवाई पूर्ण की जा रही हैं। जल्द ही योग्य प्रोफेसरों को एजीपी और पदनाम दिए जाएंगे।
डॉ. मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री, मप्र शासन

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