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मोदी सरकार की विदेश नीति से गदगद मनमोहन! कई बातों पर PM मोदी की खूब तारीफ

नईदिल्ली

 रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक व्यवस्था में मची उथल-पुथल के बीच भारत की सधी चाल के मुरीद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने तमाम दबावों के बावजूद भारत के हितों को ऊपर रखते हुए बिल्कुल सटीक रणनीति पर कदम बढ़ाया, उसकी पूर्व पीएम ने प्रशंसा की है।एक इंटरव्यू में जी-20 शिखर सम्मेलन से लेकर चंद्र अभियान की सफलता तक, कई प्रमुख मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी। कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार के मुखिया ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने नई विश्व व्यवस्था को रास्ता दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2004 से 2014 के एक दशक तक भारत के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह ने कहा कि वो भारत के भविष्य को लेकर काफी आशावादी हैं, चिंता बहुत कम है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत का भविष्य सामाजिक सौहार्द की मजबूत नींव पर खड़ा होना चाहिए।

जी20 की अध्यक्षता मिलने पर जताई खुशी

मनमोहन सिंह ने भारत की अध्यक्षता में जी20 के शिखर सम्मेलन को लेकर दिल छू लेने वाली बात कही। उन्होंने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं कि भारत के जिम्मे जी20 की अध्यक्षता का मौका मेरे जीवनकाल में आया और मैं भारत को जी20 शिखर सम्मेलन के लिए आ रहे विश्व नेताओं की मेजबानी करते हुए देख रहा हूं।' उन्होंने यह भी कहा कि विदेशी नीति का घरेलू राजनीति पर असर होता है, लेकिन यह संतुलित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कूटनीति और विदेश नीति का उपयोग दलगत या व्यक्तिगत राजनीति के लिए नहीं किया जाए।''

भारत ने किसी का दबाव नहीं माना, बड़ी बात है

वैश्विक समुदाय में भारत की स्थिति है और मौजूदा एवं बदलती विश्व व्यवस्था में इसकी भूमिका के सवाल पर पूर्व पीएम ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था अब बहुत बदल चुकी है, खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी देशों और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच। ऐसे में भारत को इस नई विश्व व्यवस्था को संचालित करने का बेहतरीन मौका हाथ लगा है। उन्होंने कहा कि जब दो या दो से अधिक शक्तियां किसी संघर्ष में फंस जाती हैं, तो अन्य देशों पर पक्ष लेने का बहुत दबाव होता है। मेरा मानना है कि भारत ने सही काम किया है कि हमने अपनी संप्रभु और आर्थिक हितों को पहले रखा है और शांति की अपील भी की है। जी20 को कभी भी सुरक्षा से संबंधित संघर्षों को निपटाने के लिए मंच के रूप में नहीं देखा गया था। जी20 के लिए सुरक्षा मतभेदों को अलग रखना और नीतिगत समन्वय पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है ताकि जलवायु, असमानता और वैश्विक व्यापार में विश्वास की चुनौतियों का सामना किया जा सके।

चीन से ठीक तरह से डील कर रहें पीएम मोदी

विदेशों से संबंध को लेकर पूछे गए एक सवाल पर पूर्व पीएम ने कहा कि वो पीएम मोदी को जटिल कूटनीतिक मामलों से निपटने को लेकर कोई सलाह देना उचित नहीं समझते हैं। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के जी20 समिट में भाग लेने नई दिल्ली नहीं आने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ जारी तनाव पर कहा, 'मुझे उम्मीद और विश्वास है कि प्रधानमंत्री भारत की क्षेत्रीय और संप्रभु अखंडता की रक्षा के लिए और द्विपक्षीय तनावों को कम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।'

चंद्रयान की सफलता से खुशी का ठिकाना नहीं

चंद्रयान 3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग पर खुशी का इजहार करते हुए पूर्व पीएम ने इसरो की क्षमता का गुणगान किया। उन्होंने कहा, 'यह बहुत गर्व की बात है कि भारत का वैज्ञानिक प्रतिष्ठान (इसरो) एक बार फिर दुनिया के सबसे अच्छों में एक की अपनी क्षमता साबित कर रहा है। पिछले सात दशकों में विज्ञान के प्रति समाज में रुचि पैदा करने और संस्थानों का निर्माण करने के हमारे प्रयासों से जबरदस्त लाभ हुआ है और हम सभी को गौरवान्वित किया है। मुझे वास्तव में खुशी है कि 2008 में लॉन्च हुए चंद्रयान मिशन ने नए आयाम गढ़े हैं और वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला मिशन बन गया है। इसरो के सभी महिलाओं और पुरुषों को मेरी हार्दिक बधाई।'

आर्थिक महाशक्ति बनेगा भारत: मनमोहन

जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार स्वतंत्रता दिवस समारोह के मौके पर दावा किया कि भारत अगले पांच वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, पूर्व पीएम मनमोहन ने भी इसका समर्थन किया। उन्होंने यहां तक कहा कि भारत अगले दशकों में सर्विसेज के साथ-साथ मैन्युफैक्चरिंग और प्रॉडक्शन पर जोर देकर दुनिया की एक आर्थिक महाशक्ति बन सकता है। उन्होंने कहा, 'कुल मिलाकर, मैं भारत के भविष्य के बारे में चिंतित से अधिक आशावादी हूं। हालांकि, मेरी आशावाद भारत के एक सामंजस्यपूर्ण समाज होने पर निर्भर है, जो सभी प्रगति और विकास का आधार है। भारत की सहज वृत्ति विविधता के स्वागत और इसका जश्न मनाने की है जिसे संरक्षित किया जाना चाहिए।'

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