G-20 Summit: 2009 के बाद जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए इन देशों के प्रमुख, ऐसा रहा समिट का इतिहास
नई दिल्ली
इस बात की पूरी संभावना है कि 9-10 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में होने वाले जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में रूस और चीन के राष्ट्रपति हिस्सा नहीं लेंगे।
पुतिन नहीं लेंगे जी-20 समिट में हिस्सा
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इसकी पुष्टि कर चुके हैं और चीन की तरफ से राष्ट्रपति शी चिनफिंग के हिस्सा लेने की पुष्टि अभी तक नहीं की गई है। लेकिन यह जी-20 संगठन की पहली शिखर बैठक नहीं होगी, जिसमें एक साथ दो देशों के राष्ट्र प्रमुख या उनकी सरकारों के प्रमुख हिस्सा नहीं लेंगे। पिछला इतिहास देखा जाए तो 2009 के बाद कोई भी जी-20 शिखर सम्मेलन ऐसा नहीं रहा है, जिसमें सभी 20 सदस्य देशों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया हो।
अबतक हुई 16 शिखर बैठकें
इस संगठन की सामान्य रूप से अब तक 16 शिखर बैठकें हो चुकी हैं और सिर्फ तीन बार (2008 और 2009) में सभी सदस्यों के राष्ट्र प्रमुखों ने हिस्सा लिया है। 2009 में दो बार शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ था। नई दिल्ली शिखर सम्मेन में रूस और चीन के हिस्सा नहीं लेने के पीछे यूक्रेन विवाद और अमेरिका के साथ चीन की बढ़ती तल्खी दो बड़ी वजहें हैं। लेकिन 2021 में जब कोई बड़ा कूटनीतिक विवाद नहीं था, तब भी छह देशों ने इटली में हुई शिखर सम्मेलन में अपने राष्ट्र प्रमुख या सरकार के प्रमुख को नहीं भेजा था।
जी-20 से पहले भी किनारा कर चुके हैं कई देश
अधिकारियों के मुताबिक, जी-20 बैठक में शीर्ष नेताओं का हिस्सा नहीं लेना कोई पहली घटना नहीं है। वैसे भी यह अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसमें अगर किसी देश का शीर्ष नेता हिस्सा नहीं लेता तो इसका मतलब यह नहीं होता कि वह उसका बहिष्कार करता है। उस देश का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई भी नेता उतना ही तवज्जो पाता है और उसका उतना ही महत्व होता है। हमेशा यह संभव नहीं होता कि हर देश का प्रमुख इस बैठक में हिस्सा ही ले।
जब इन देशों ने नहीं भेजा कोई नेता
जानकारी के मुताबिक, जी-20 के छह शिखर सम्मेलनों (2010, 2011, 2012, 2013, 2016, 2017) में किसी न किसी एक देश ने अपने राष्ट्र प्रमुख या शीर्ष नेता को हिस्सा लेने के लिए नहीं भेजा। पांच बार (2010, 2014, 2015, 2018, 2019) दो देशों का प्रतिनिधित्व उनके शीर्ष नेता ने नहीं किया। यूक्रेन विवाद के बाद वर्ष 2022 के शिखर सम्मेलन में तीन देशों के प्रमुखों ने सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया था।