रायपुर
प्रदेश में उद्योग स्थापना और सरकार के साथ हुए निरस्त एमओयू को लेकर भाजपा विधायकों ने मंत्री मोहम्मद अकबर को घेरने का प्रयास किया लेकिन उनके जवाब से विपक्षी सदस्य संतुष्ट हो गए। मंत्री अकबर ने अपने जवाब में कहा कि निवेश से रोजगार का प्रतिशत कैसे तय किया जा सकता है, अभी तो 137 पर काम चल रहा है। एमओयू आपसी समझौता है बंधनकारी नहीं।
प्रश्नकाल में भाजपा के धरमलाल कौशिक ने 2020-23 तक राज्य सरकार द्वारा औद्योगिक निवेश के लिए किए गए एमओयू को लेकर प्रश्न किया। उद्योग मंत्री कवासी लखमा की जगह उत्तर दे रहे विधि मंत्री मोहम्मद अकबर ने लिखित उत्तर में बताया कि 192 एमओयू किए गए थे जिनसे 1,24,336 लोगों को रोजगार मिलना था इनमें से 9 एमओयू निरस्त किए गए हैं, 183 प्रभावशील है। 19 में उत्पादन शुरू और 37 में निवेश का क्रियान्वयन चल रहा है। कौशिक ने पूछा कि उद्योग स्थापना की अवधि कितनी दी गई है। अकबर ने बताया कि 5 वर्ष का समय होता है। कौशिक ने कहा कि निवेशकों के हवाले से कहा गया हैं कि 137 एमओयू में काम चल रहा है। क्या विभाग ने कितने का काम चल रहा है इसे कभी मौके पर सत्यापित किया है? मंत्री ने कहा कि 5 वर्ष के एमओयू पर 6 माह में निरीक्षण कर प्रगति ली जाती है। विधायक कौशिक ने कहा कि 96442 करोड़ का निवेश और 1,24336 लोगों को रोजगार देना था, हुआ क्या 5422 करोड़ का निवेश और 4849 लोगों को रोजगार नहीं दे पाए क्या यही है इनका विकास का छत्तीसगढ़ माडल। बाकी को रोजगार कब देंगे? मोहम्मद अकबर ने कहा कि निवेश से रोजगार का प्रतिशत कैसे तय किया जा सकता है। अभी तो 137 पर काम चल रहा है। कौशिक ने कहा कि बजरंग एलायज ने 158 लोगों को रोजगार दिया जो एमओयू के लक्ष्य से कोसों दूर है। कब देंगे। मंत्री ने बताया कि यह लक्ष्य नहीं केवल प्रस्ताव है और एमओयू आपसी समझौता है बंधनकारी नहीं है।
भाजपा के ही अजय चंद्राकर और शिवरतन शर्मा ने निरस्त किए गए 9 एमओयू के निवेशकों और निरस्त होने का कारण जानना चाहा। मंत्री अकबर ने बताया कि प्रकाश इंडस्ट्रीज हिसार, नूतन इस्पात एंड पावर रायपुर, आर एस इस्पात, जीओएस इस्पात, स्काई स्टील, एसकेएस इस्पात मुंबई, एसएनएस इंडस्ट्रीज, पारस पावर एंड कोल बिलासपुर के एमओयू निरस्त किए गए हैं। इनमें से नूतन इस्पात के निवेशकों में मतभेद की वजह से, जीओएस ने स्टील मार्केट में मंदी और शेष निवेशकों के अनुरोध पर निरस्त किए गए।