विदेश

ब्रिटिश संसद ने ताइवान का माना स्वतंत्र देश, भड़का चीन अब क्या करेगा?

लंदन

ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली के इस सप्ताह होने वाले चीन के दौरे से पहले दोनों देशों में टेंशन पैदा हो सकती है। दरसअल, ब्रिटिश संसद ने पहली बार आधिकारिक दस्तावेज में ताइवान को स्वतंत्र देश बताया है। चीन लंबे समय से ताइवान को देश का दर्जा देने से इनकार करता रहा है और इस बात पर जोर देता है कि यह द्वीप उसके क्षेत्र का हिस्सा है। दुनियाभर में केवल 13 देश ही कूटनीतिक तौर पर बीजिंग के बजाए ताइवान को देश का दर्जा देते हैं। ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स की प्रभावशाली विदेशी मामलों की कमेटी द्वारा बुधवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में ताइवान को स्वतंत्र देश बताया गया है। इस फैसले से ब्रिटेन और चीन के बीच संबंध खराब हो सकते हैं।

ब्रिटेन की सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी की कमेटी की अध्यक्ष एलिसिया किर्न्स के अनुसार, यह पहली बार है कि ब्रिटिश संसद की रिपोर्ट ने ताइवान को लेकर इस तरह की घोषणा की है। किर्न्स ने 'पोलिटिको' को बताया, "हम चीन की स्थिति को स्वीकार करते हैं, लेकिन (विदेशी मामलों की कमेटी) के रूप में हम इसे स्वीकार नहीं करते। यह जरूरी है कि विदेश मंत्री दृढ़तापूर्वक और मुखर रूप से ताइवान के साथ खड़े रहें और स्पष्ट करें कि हम ताइवान के अधिकार को बरकरार रखेंगे।" किर्न्स ने आगे कहा, "यह प्रतिबद्धता न केवल ब्रिटिश मूल्यों के अनुरूप है, बल्कि दुनियाभर के निरंकुश शासनों के लिए एक मैसेज देने के रूप में भी काम करती है कि संप्रभुता हिंसा या जबरदस्ती के माध्यम से प्राप्त नहीं की जा सकती है।"

यूके कमेटी की रिपोर्ट को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय का बयान भी सामने आया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने नाराजगी व्यक्त करते हुए सही और गलत में बदलाव के लिए इसकी आलोचना की। वांग ने कहा, "चीन ब्रिटिश संसद से 'वन चाइना' सिद्धांत का पालन करने और स्वतंत्रता समर्थक ताइवानी अलगाववादी ताकतों को गलत संकेत भेजना बंद करने का आग्रह करता है।" दूसरी ओर, ताइवान के विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट जारी करने के लिए ब्रिटिश संसद को धन्यवाद दिया है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने मीडिया को बताया, "हम ताइवान की स्थिति और अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के लिए ब्रिटिश संसद के समर्थन के लिए आभारी हैं।"

कमेटी की रिपोर्ट में ताइवान का समर्थन करने में पर्याप्त साहस न दिखाने के लिए सरकार की आलोचना की गई है, और अधिकारियों से दुनिया के 90 प्रतिशत सेमीकंडक्टर की सप्लाई करने वाले द्वीप पर बीजिंग की सैन्य कार्रवाई और आर्थिक नाकेबंदी को रोकने के लिए सहयोगियों के साथ प्रतिबंधों की तैयारी शुरू करने का आह्वान किया गया है। कमेटी ने कहा, "अगर ब्रिटेन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को ऑफेंड करने के बारे में अत्यधिक सतर्क नहीं होता तो वह ताइवान के साथ घनिष्ठ संबंध बना सकता था।" इसमें आगे कहा गया कि यूके को ताइवान के अधिकारियों के साथ कौन बातचीत कर सकता है, इस पर लगाए गए प्रतिबंधों को ढीला करना चाहिए। अमेरिका और जापान ने दिखाया है कि हाइएस्ट लेवल पर भी बातचीत संभव है।

 

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button