कारगिल की जनता कश्मीर से अलग होने के चार साल बाद पहली बार करेगी मतदान
कारगिल
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने और राज्य के पुनर्गठन के बाद केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के करगिल में पहली बार चुनाव हो रहे हैं. लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल के इस चुनाव में करगिल हिल काउंसिल की 26 सीटों के लिए 10 सितंबर को मतदान होना है. इसके लिए मंच सज चुका है. 26 सीटों से 88 उम्मीदवार मैदान में हैं.
हिल काउंसिल की सत्ता के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं. वहीं, दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने भी चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. आम आदमी पार्टी से मोहम्मद हुसैन पोएन सीट से चुनाव मैदान में हैं.
कांग्रेस ने उतारे सबसे अधिक उम्मीदवार
30 सदस्यों वाली काउंसिल की 26 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में कांग्रेस ने सबसे अधिक 21 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. बीजेपी ने 17 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. चार सीटों के लिए सदस्य मनोनयन के जरिए चुने जाते हैं. कांग्रेस का 21 सीटों पर चुनाव लड़ना और आम आदमी पार्टी का चार सीटों पर उम्मीदवार उतारना, ये दोनों ही कदम चौंकाने वाले हैं.
चौंकाने वाले इसलिए, क्योंकि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस इस चुनाव में साथ मिलकर उतरे हैं. समझौते के बावजूद दोनों दलों के उम्मीदवार कई सीटों पर एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी भी करगिल में पैर पसारने की कोशिशों में जुटी है. दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी पार्टी लद्दाख में हिल काउंसिल चुनाव के बहाने अपनी सियासी जमीन तलाश रही है. इसके ठीक उलट अकेले मैदान में उतरी बीजेपी बाकी सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन कर रही है.
ये प्रमुख चेहरे हैं चुनाव मैदान में
करगिल हिल काउंसिल चुनाव की बात करें तो कांग्रेस के टिकट पर चुलिस खांबो सीट से मैदान में उतरीं खतीजा बानो 26 सीटों के लिए 89 उम्मीदवारों की लिस्ट में एकमात्र महिला उम्मीदवार हैं. जम्मू कश्मीर विधान परिषद के पूर्व चेयरमैन बीजेपी के हाजी अनायत अली, स्टेंजिन लापका और कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए स्टेंजिन वांग्याल भी चुनाव मैदान में हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता फिरोज खान और हाजी हनीफा जान, कांग्रेस की ओर से जिला प्रमुख नासिर मुंशी, स्टेंजिन सोनम, स्टेंजिन जिगमित और हज कमेटी के चेयरमैन हाजी मजाज जान भी हिल काउंसिल चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
बीजेपी-कांग्रेस ने प्रचार में उतारे बड़े चेहरे
करगिल हिल काउंसिल चुनाव में कांग्रेस ने अपने पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को भी मैदान में उतार दिया तो वहीं बीजेपी की ओर से लद्दाख के सांसद जामयांग छिरिंग नामग्याल ने कमान संभाल रखी है. राहुल गांधी ने 25 अगस्त को करगिल में जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमला बोला था. वहीं, बीजेपी सांसद नामग्याल ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि इधर-उधर की बात न कर, ये बता करगिल को किसने लूटा? ये चुनाव दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी स्थानीय पार्टी के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है.
2018 में सबसे बड़ी पार्टी रही थी नेशनल कॉन्फ्रेंस
हिल काउंसिल की सत्ता पर काबिज होने के लिए 16 सीटों का जादुई आंकड़ा जरूरी है. साल 2018 के पिछले चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस 10 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. कांग्रेस को आठ, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को दो और बीजेपी को एक सीट पर जीत मिली थी. पांच सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीतने में सफल रहे थे.
हिल काउंसिल चुनाव खास क्यों
करगिल हिल काउंसिल के ये चुनाव कई मायनों में खास हैं. जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने के बाद ये किसी भी स्तर का पहला चुनाव है. खास इसलिए भी है क्योंकि लद्दाख के लोग कश्मीर से अलग होना चाहते थे लेकिन करगिल में इसका विरोध हुआ था. 5 अगस्त 2019 को संसद से इस संबंध में विधेयक पारित हो जाने के बाद से अब तक जम्मू कश्मीर या लद्दाख, दोनों ही केंद्र शासित प्रदेशों में कोई चुनाव नहीं हुए हैं. अनुच्छेद 370 हटाए जाने और राज्य पुनर्गठन के फैसले को लेकर करगिल की जनता पहली बार वोट करने जा रही है.