प्रज्ञानानंदा और गुकेश बिखेर रहे चमक, भारत में शतरंज प्रतिभाओं की भरमार
चेन्नई
लंबे समय तक पांच बार के विश्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद भारतीय शतरंज के एकमात्र ध्वजवाहक हुआ करते थे जो अपने प्रदर्शन से पूरी दुनिया को हैरान करते रहे थे। लेकिन पिछले करीब एक दशक में चीजों में काफी बदलाव आया है और भारतीय शतरंज में ऐसे कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी सामने आ रहे हैं जो दुनिया में देश का नाम रोशन कर रहे हैं। देश से निकल रहे इतने ग्रैंडमास्टर्स को देखते हुए आनंद ने भी कहा कि मौजूदा पीढ़ी भारतीय शतरंज की स्वर्णिम पीढ़ी है।
चार भारतीय खिलाड़ी – आर प्रज्ञानानंद, अर्जुन एरिगेसी, डी गुकेश और विदित संतोष गुजराती – बाकू में फिडे विश्व कप के क्वार्टरफाइनल में पहुंचे जो देश के लिए ऐसे खेल में पहली बार हुआ जिसमें लंबे समय तक सोवियत संघ और बाद में रूस का दबदबा रहा है। प्रज्ञानानंदा चमकदार प्रदर्शन करते हुए विश्व कप के फाइनल में पहुंचे, वह आनंद के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय बने। इस तरह उन्होंने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए अपना स्थान भी पक्का किया जिससे तय होगा कि मौजूदा विश्व चैम्पियन डिंग लिरेन को कौन चुनौती देगा।
प्रज्ञानानंदा ने फाइनल से पहले दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी हिकारू नाकामुरा और तीसरे नंबर के खिलाड़ी फैबियानो कारूआना को पराजित किया। प्रज्ञानानंदा(18), गुकेश (17) और एरिगेसी (19) की तिकड़ी को नेतृत्वकर्ता कहा जा सकता है। प्रज्ञानानंदा की उपलब्धियां सभी देख चुके हैं, गुकेश पिछले साल में बेहतर से बेहतर हो रहे हैं और एरिगेसी का खेल भी काफी बेहतर हो गया है। प्रज्ञानानंदा अमेरिका के महान खिलाड़ी बॉबी फिशर और नार्वे के मैग्नस कार्लसन के बाद कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करने वाले तीसरे युवा खिलाड़ी बन गये हैं।
कैंडिडेट्स के लिए क्वालीफाई करके प्रज्ञानानंदा ने विश्व खिताब के लिए चैलेंजर बनने के लिए खुद को दौड़ में शामिल कर लिया है। गुकेश पिछले साल चेन्नई में हुए शतरंज ओलंपियाड में अपने शानदार प्रदर्शन के बाद से बेहतर ही होते जा रहे हैं। इसके बाद से उन्होंने अपने खेल में काफी सुधार किया और लाइव रेटिंग में पांच बार के विश्व चैम्पियन आनंद को पछाड़कर देश के नंबर एक खिलाड़ी बन गये। आनंद ने कहा था कि वह यह देखकर काफी हैरान थे कि मौजूदा पीढ़ी में ज्यादातर खिलाड़ियों की ईएलओ रेटिंग 2700 से ज्यादा की है, विशेषकर 20 साल से कम उम्र के खिलाड़ियों की जिसे उन्होंने विशेष करार दिया था।