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ISRO वैज्ञानिकों को मिलती है बहुत कम सैलरी, कोई करोड़पति नहीं

नईदिल्ली

भारत के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता से प्रसन्न भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों की पगार विकासित देशों के वैज्ञानिकों के वेतन का पांचवां हिस्सा है और शायद यही कारण है कि वे अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए किफायती तरीके तलाश सके।

वैज्ञानिकों में कोई भी लखपति नहीं है और वे बेहद सामान्य जीवन जीते हैं
नायर ने अन्य देशों की तुलना में बेहद कम कीमत वाले साधनों के जरिए अंतरिक्ष में खोज के भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के इतिहास के बारे में  बातचीत करते हुए कहा, ‘‘ इसरो में वैज्ञानिकों, तकनीशियनों और अन्य कर्मियों को जो वेतन भत्ते मिलते हैं वे दुनिया भर में इस वर्ग के लोगों को मिलने वाले वेतन भत्तों का पांचवा हिस्सा है। इसका एक लाभ भी है।'' उन्होंने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों में कोई भी लखपति नहीं है और वे बेहद सामान्य जीवन जीते हैं।

 
नायर ने कहा, ‘‘ हकीकत यह है कि वे धन की कोई परवाह भी नहीं करते, उनमें अपने मिशन को लेकर जुनून और प्रतिबद्धता होती है। इस तरह हम ऊंचा मुकाम हासिल करते हैं।'' उन्होंने कहा कि इसरो के वैज्ञानिक बेहतरीन योजना बना कर और दीर्घ कालिक दृष्टिकोण के जरिए ये उपलब्धि हासिल कर सके। इसरो के पूर्व प्रमुख के अनुसार, ‘‘ हम एक-एक कदम से सीखते हैं। जो हमने अतीत में सीखा है, हम अगले मिशन में उसका इस्तेमाल करते हैं। हमने करीब 30 वर्ष पहले ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान के लिए जो इंजन बनाया था उसी का इस्तेमाल भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान में भी किया जाता है।''

उन्होंने कहा कि भारत अपने अंतरिक्ष अभियानों के लिए घरेलू तकनीक का उपयोग करता है और इससे उन्हें लागत को काफी कम करने में मदद मिली है। भारत के अंतरिक्ष मिशन की लागत अन्य देशों के अंतरिक्ष अभियानों की तुलना में 50 से 60 प्रतिशत कम है। नायर ने कहा,‘‘ हमने अच्छी शुरुआत की है और बड़ी उपलब्धि हासिल की है।'' पूर्व इसरो प्रमुख ने कहा कि देश के पास पहले से ही यूरोप और अमेरिका के साथ कई वाणिज्यिक अनुबंध हैं और अब चंद्रयान-3 की सफलता के साथ ये बढ़ेंगे।

चंद्रयान-3 की कुल लागत केवल 615 करोड़ रुपये
इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 की कुल लागत केवल 615 करोड़ रुपये है जो देश में एक बॉलीवुड फिल्म के निर्माण बजट के लगभग बराबर है। अंतरिक्ष अभियान में बड़ी छलांग लगाते हुए भारत का चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3' बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, जिससे देश चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला तथा चंद्र सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग' करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में यह ऐतिहासिक उपलब्धि ऐसे समय मिली है जब कुछ दिन पहले रूस का अंतरिक्ष यान ‘लूना 25' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के मार्ग में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

सॉफ्ट-लैंडिंग की तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बना भारत
41 दिनों की त्रुटिहीन यात्रा के बाद चंद्रमा पर इस टचडाउन के साथ इतिहास रचने और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जा रहे एक रूसी लैंडर के दुर्घटनाग्रस्त होने के एक सप्ताह से भी कम समय के बाद, भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट-लैंडिंग की तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है।  

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