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अब कर बरसा, पर सावन में रूठे बदरा; इतिहास का हो सकता है सबसे सूखा अगस्त

नई दिल्ली
पहाड़ी राज्यों में मॉनसूनी बारिश के कहर के बीच मौसम विभाग ने देश के अन्य हिस्सों में कम बारिश को लेकर चिंता व्यक्त की है। मौसम अधिकारियो ने मॉनसून को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। 14 साल में सबसे लंबे 12 दिवसीय ब्रेक से बाहर आने के बाद मॉनसून 21 से 28 अगस्त तक एक और कमजोर चरण में जा सकता है। इस महीने अभी तक देश भर में पहले से ही 36% कम वर्षा हुई है। शीर्ष मौसम विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है कि अगस्त 2023 भारतीय इतिहास में रिकॉर्ड सबसे शुष्क महीने में एक बन सकता है। अनुभवी मौसम विज्ञानी और केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम राजीवन का कहना है कि "अगस्त 2023 में संभावित रूप से लगभग 40% वर्षा की कमी हो सकती है, जो 2005 में दर्ज 25% की कमी (1913 के बाद से इतिहास में सबसे शुष्क अगस्त) से अधिक है।"  राजीवन ने कहा कि अल नीनो का असर भारत के मॉनसून पर पहले से ही दिखने लगा है। उन्होंने कहा, "मॉनसून में लंबे समय तक रुकावट दौरान देश के अधिकांश क्षेत्रों में बारिश बेहद कम हुई है, बड़े पैमाने पर कारकों के काम करने का संकेत है। यह अल नीनो का एक विशिष्ट प्रभाव है।" मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगस्त माह खत्म होने में हालांकि अब सिर्फ 10 दिन ही बचे हैं लेकिन, देश भर 36% की वर्षा कम हुई है। दक्षिण हिस्से की बात करें तो यहां  66% कम बारिश हुई है। जबकि उत्तर पश्चिम भारत में 45% कम बारिश हुई है।

क्या कहते हैं मौसम वैज्ञानिक
मौसम वैज्ञानिकों के ऐतिहासिक डेटा के मुताबिक, अल नीनो के दौरान भारत में सितंबर में बारिश की कमी की एक महत्वपूर्ण संभावना है। उन्होंने कहा, "सितंबर में 10% या उससे अधिक की कमी की 87% संभावना है। उत्तर पश्चिमी राज्यों में यह कमी 20% या उससे अधिक 47% कम होने की संभावना है।" स्काईमेट के उपाध्यक्ष जी पी शर्मा ने कहा कि 2005, 2009 और 2021 वर्ष के दौरान अगस्त महीना पिछले 18 वर्षों में सबसे शुष्क थे। "

देश के इन हिस्सों में अच्छी बारिश
इस साल का अगस्त महीना ऐतिहासिक शुष्क महीने में शामिल हो सकता है। वर्तमान निम्न दबाव प्रणाली जल्द ही मॉनसून को हिमालय की तलहटी की ओर स्थानांतरित कर सकती है, जिसके परिणामस्वरूप केवल पूर्वी और उत्तरपूर्वी भारत के साथ-साथ तलहटी के पास के क्षेत्रों में अच्छी वर्षा होगी। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में अगस्त में लगभग 36% बारिश की कमी एक दुर्लभ घटना है।

पहले कब पड़ा ऐसा सूखा
इससे पहले साल 2009 का अगस्त महीना भी गंभीर सूखा रहा था। उस वर्ष अगस्त माह में वर्षा 192.5 मिमी दर्ज हुई थी, जबकि 2005 में यह 190.1 मिमी था। इस साल 1-19 अगस्त तक देश में कुल बारिश 106.2 मिमी (36% कमी) रही है, जबकि सामान्य बारिश का औसत 166 मिमी है।

सूखे की वजह
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि मॉनसून के अपने सामान्य मार्ग से भटकने को प्रशांत महासागर में एक मजबूत अल नीनो घटना के उद्भव के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। अल नीनो का मॉनसून पैटर्न को बाधित करने और प्रत्याशित मौसमी वर्षा को बाधित करने का इतिहास रहा है।

इससे मानसून गर्त अपनी नियमित स्थिति में बहाल हो जाता है, जो विराम के दौरान हिमालय की तलहटी में स्थित हो जाता है। हालांकि, यह मॉनसून की ताकत को पूरी तरह से बहाल करने में विफल रहा है। जबकि भारत के अधिकांश हिस्सों में जल्द ही सामान्य से नीचे का एक और चरण शुरू होगा।

 

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