INDIA ने बढ़ाई भाजपा की चिंता, लोकसभा चुनाव में NDA पर रहेगा खासा जोर
नई दिल्ली
लोकसभा चुनावों के लिए विपक्ष के एक बड़े खेमे के एकजुट होने के बाद सत्तारूढ़ एनडीए ने भी अपनी रणनीति बदली है। अब लोकसभा की चुनावी रणनीति में एनडीए पर खासा जोर रहेगा। भाजपा नेतृत्व वाला एनडीए अपने गठन की रजत जयंती मना रहा है। पूर्व की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भाजपा की सहयोगी दलों पर निर्भरता के चलते एनडीए का काफी महत्व था। लेकिन, मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में भाजपा का अपना बहुमत होने से एनडीए की उतनी धमक नहीं रही है। हालांकि, बीते दो महीनों से एनडीए की सक्रियता देखी जा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह अधिकांश विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन तले एकजुट होना है।
भाजपा नेतृत्व ने बीते दिनों एनडीए के घटक दलों के नेताओं और सांसदों के साथ अपना संवाद बढ़ाया है। आपसी गर्मजोशी भी देखी जा रही है। संसद सत्र के पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सभी घटक दलों के नेताओं के साथ बैठक की थी। इसके बाद संसद सत्र के दौरान एनडीए सांसदों के साथ प्रधानमंत्री ने अलग-अलग समूहों में बैठकें की। भाजपा के नेताओं को भी कहा गया है कि वह भी प्रदेश और जिला स्तर पर सहयोगी दलों के सतत संपर्क में रहें।
मिशन 2024 के लिए भाजपा के अभियान में भी एनडीए को प्रमुखता दी जाएगी। चुनाव प्रचार की थीम में भाजपा के साथ एनडीए का भी खास उल्लेख होगा। साथ ही अलग-अलग राज्यों में विभिन्न घटक दलों की प्रचार सामग्री में उनके नेताओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी को खासतौर पर सामने रखा जाएगा। हालांकि, सीटों की हिस्सेदारी में तो भाजपा के सहयोगी दलों को बहुत ज्यादा जगह नहीं मिलने वाली है, लेकिन माहौल में वह जरूर इंडिया की तरह रहेगा।
दक्षिण में जड़ें जमाने की कोशिश
जहां भाजपा कमजोर है, उन राज्यों में भी सहयोगी दलों को प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने पर जोर है। इस रणनीति से पार्टी दक्षिण में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश करेगी। भाजपा का यह सबसे कमजोर क्षेत्र है। कर्नाटक की हार के बाद इस समूचे क्षेत्र में भाजपा की चुनौतियां भी बढ़ी हुई है।
भाजपा की चिंता
सूत्रों के अनुसार, भाजपा को सबसे बड़ी चिंता इस बात को लेकर है कि कहीं विपक्ष का इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनावों में राज्यवार तालमेल करके न उतरे। इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि विपक्षी खेमा हर राज्य की अलग रणनीति पर काम करेगा, ताकि उसके खेमे के सभी अपने-अपने राज्यों में अधिकतम एकजुटता का प्रदर्शन करें। इस तरह की एकजुटता अगर बनती है तो भाजपा के लिए भी चुनौती बढ़ेगी। हालांकि, भाजपा ने इसकी काट के लिए एनडीए की ताकत बढ़ानी शुरू कर दी है।