संत और समाज का स्नेहिल समागम है स्नेहा यात्रा
370 जनसंवाद कार्यक्रमों में 70 हज़ार से अधिक लोगो की सहभागिता
भोपाल
स्नेह यात्रा का तीसरा दिन
प्रदेश के सभी जिलों में स्नेह यात्रा का उत्साह के साथ स्वागत किया जा रहा है। यात्रा के तीसरे दिन बड़ी संख्या में लोग उमंग के साथ स्नेह यात्रा में शामिल हुए। हजारों की संख्या में लोग सुबह से ही यात्रा दल के साथ सहभागी बन बढ़ते जा रहे हैं। करीब 370 जनसंवाद कार्यक्रमों में 70 हज़ार से अधिक लोगो ने सहभागिता की। प्रमुख संतों के सानिध्य में गाँव-गाँव में स्नेहा यात्रा एकता, समरसता, समभाव और सद्भभावना का संदेश दे रही है।
यात्रा के जनसंवाद में ग्रामवासियों द्वारा कलश यात्रा, घरों के सामने रंगोली, कन्या पूजन, स्थानीय लोकनृत्य आदि प्रस्तुत किया जा रहा है। समाज में प्रेम, सौहार्द तथा समरसता भाव जगाने के लिए ग्रामीणजन प्रमुख संतों का दर्शन एवं प्रवचन का लाभ ले रहे है। यात्रा में रामचन्द्र मिशन, पतंजली योग पीठ एवं गायत्री परिवार एवं विभिन्न सामाजिक, धार्मिक एवं सास्कृतिक संगठनों द्वारा समरसता का संदेश दिया जा रहा है।
नवाचार बना रहे हैं यात्रा को आकर्षक
स्नेह यात्रा के दौरान अनेक नवाचार हो रहे है। घर-घर जाकर संतजन सभी समुदाय के लोगों से तो स्नेह मिलन कर रहे है। नवाचारों की प्रेरणा भी दे रहे हैं। स्मृति स्वरूप तुलसी का पौधा रोपा जा रहा है। कलावा बांध कर नशामुक्ति का संकल्प लिया जा रहा है। देव स्थलों पर दीपदान किया जा रहा है। आध्यामिकता और आस्था के इस महासागर में जैसे भेदभाव की सभी नदियां आकर विलुप्त हो गई हैं।
समरसता की खिचड़ी ने सबको जोड़ा एक सूत्र में
स्नेह यात्रा में प्रतिदिन दोपहर और शाम को संत्संग, प्रवचन, सामूहिक, संर्कीतन और सहभोज का कार्यक्रम होता है। प्लास्टिक पूरी तरह से वर्जित है। सात्विक भोजन से निर्मित सहभोज में प्रमुख व्यंजन खिचड़ी है। सहभोज के लिये संपूर्ण सामग्री जन समुदाय की सहभागिता से एकत्रित की जा रही है। लोग आनंदित होकर प्रसाद स्वरूप ग्रहण कर रहे हैं। समरसता से बनी इस खिचड़ी ने सभी को एक सूत्र में जोड़ दिया है।