उम्मीदवारों के नाम घोषित होते ही, कहीं जश्न तो कहीं विरोध के स्वर गूंजने लगे
भोपाल
चुनाव के तीन माह पहले टिकट घोषित करने के बाद भाजपा की 39 विधानसभा सीटों में से अधिकांश में नेताओं के बागी सुर झलकने लगे हैं। जिन सीटों पर पिछले चुनाव में हारे या उनके परिजनों को टिकट दिया गया है वहां दूसरे दावेदारों के समर्थक विरोध जता रहे हैं तो जहां विधानसभा सीटों में बदलाव की स्थिति बनी है वहां भी विरोध के स्वर गूंजने लगे हैं।
छतरपुर: पूर्व मंत्री ललिता यादव का टिकट फाइनल होने के बाद यहां अर्चना गुड्डू सिंह समर्थकों द्वारा खुलेआम विरोध हो रहा है।
गोहद: कांग्रेस से आए रणवीर जाटव की बजाए लाल सिंह आर्य को टिकट मिलने से जाटव की कांग्रेस घर वापसी की संभावनाएं जोर पकड़ रही हैं।
राऊ: प्रदेश संगठन में जिम्मेदारी संभाल रहे जीतू जिराती दावेदार थे, मधु वर्मा को टिकट मिलने से उन्होंने मौन साध लिया है।
महेश्वर: राजकुमार मेव को टिकट मिलने से भूपेंद्र आर्य कोप भवन में हैं। उनके समर्थक विरोध कर रहे हैं।
कुक्षी: जयदीप पटेल को टिकट मिलने से पूर्व मंत्री रंजना बघेल और उनके पति मुकाम सिंह किराड़े की दावेदारी बंद हुई है।
पुष्पराजगढ़: यहां से जिला महामंत्री हीरा सिंह श्याम को टिकट मिला है। उनका भी विरोध हो रहा है।
सोनकच्छ: सांवेर से दावेदारी कर रहे राजेश सोनकर को टिकट मिलने से स्थानीय नेता नाराज हैं।
शाहपुरा: डिंडोरी से चुनाव की तैयारी कर रहे ओपी धुर्वे को टिकट दिया। अब वे सीट बदलवाने के लिए कोशिश कर रहे हैं।
चांचौड़ा: पूर्व विधायक ममता मीणा की बजाए प्रियंका को टिकट मिलने से अंदरूनी विरोध हो रहा है।
सभी पक्षों को ध्यान में रखकर दिए गए टिकट: तोमर
ग्वालियर पहुंचे केंद्रीय मंत्री एवं चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि टिकट के मामले में चयन की एक प्रक्रिया है। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने सभी 39 प्रत्याशियों के सभी पक्षों का ध्यान रखकर चयन किया है। बीजेपी कैंपेन का मामला हो, सोशल मीडिया का मामला हो या टिकट वितरण का हो, सबमें आगे रहती है।
टिकट का कोई क्राइटेरिया नहीं सिर्फ एक मंत्र… जीत
बीजेपी नेतृत्व ने यह भी साफ कर दिया है कि चुनाव में जिताऊ और टिकाऊ प्रत्याशी ही चलेंगे। इसके लिए कोई क्राइटेरिया लागू नहीं होगा। न बार-बार हारे हुए का बंधन, न उम्र की सीमा, न वंशवाद या परिवारवाद और न ही किसी दूसरे दल से आए हुए नेताओं को टिकट देने जैसी परिस्थिति, सारे बंधन जीत के फार्मूले के आगे दरकिनार कर टिकट दिए जाएंगे। पार्टी की स्टेÑटजी इससे होने वाले डैमेज को कंट्रोल करने के लिए ही आचार संहिता लागू होने के पहले टिकट घोषित करने वाली रही है लेकिन जिन नेताओं के टिकट मिलने का रास्ता बंद हो गया है वे और उनके समर्थक विरोध भी जताने लगे हैं।