अदालत की अवहेलना करने पर छतरपुर के पूर्व कलेक्टर और CEO को 7-7 दिन की सजा, जुर्माना भी लगाया
जबलपुर
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने छतरपुर के पूर्व कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह और तत्कालीन एडिशनल कलेक्टर अमर बहादुर सिंह को अवमानना का दोषी करार दिया है। साथ ही उन्हें सात दिन के कारावास की सजा से दंडित किया है। हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलुवालिया की एकल पीठ ने दोनों अधिकारियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। दोनों अधिकारियों को कोर्ट रूम में गिरफतार कर रजिस्ट्रार के सामने पेश किया गया।
छतरपुर स्वच्छता मिशन के तहत जिला समन्वयक के पद पर नियुक्त रचना द्विवेदी का स्थानांतरण बड़ा मलहरा कर दिया गया था। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि संविदा नियुक्ति में स्थानांतरण का कोई प्रावधान नहीं है। हाईकोर्ट ने 10 जुलाई 2020 को स्थानांतरण आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट की रोक के बावजूद याचिकाकर्ता को बड़ा मलहरा में ज्वाइन नहीं करने के कारण सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इस कारण याचिकाकर्ता ने उक्त अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की।
याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने दोनों अधिकारियों को अवमानना का दोषी पाया था। एकल पीठ ने सजा निर्धारित करने के लिए 11 अगस्त की तारीख तय की थी। दोनों अधिकारियों ने पारित आदेश को वापस लेने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। आवेदन में कहा गया था कि उनकी तरफ से जवाब प्रस्तुत करने के लिए ओआईसी नियुक्त किया गया था। ओआईसी ने जवाब भी प्रस्तुत किया था। एकलपीठ ने आवेदन को खारिज करते हुए कहा था कि अवमानना प्रकरण में संबंधित अवमाननाकर्ता को ही व्यक्तिगत हलफनामे पर जवाब-दावा पेश करना होता है। ओआईसी नियुक्त करके अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश जारी किया था, इसलिए उक्त अधिकारियों को याचिकाकर्ता की सेवाएं जारी रखनी थी।
अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान दोनों अधिकारी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। उन्होंने न्यायालय से क्षमा मांगी। एकल पीठ ने दोनों अधिकारियों को अवमानना का दोषी करार देते हुए सजा पर फैसला सुरक्षित रखने के निर्देश जारी किए थे। एकल पीठ ने शुक्रवार को आदेश पारित किया और दोनों अधिकारियों को सजा से दंडित किया। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता डीके त्रिपाठी तथा धर्मेन्द पटेल ने पैरवी की।