मिस यूनिवर्स संगठन ने इंडोनेशिया से संबंध समाप्त करने की घोषणा की
न्यूयॉर्क
मिस यूनिवर्स संगठन ने इंडोनेशिया में स्थानीय मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में यौन उत्पीड़न के हालिया कांड के बाद अपनी फ्रेंचाइजी के साथ संबंध समाप्त करने की घोषणा की है।
इंडोनेशिया में मंगलवार को सौंदर्य प्रतियोगिता के छह प्रतियोगियों ने कथित तौर पर आयोजकों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। प्रतियोगियों को कथित तौर पर निशानों के लिए टॉपलेस 'बॉडी चेक' से गुजरना पड़ा था। उनके वकील ने कहा कि प्रक्रिया के दौरान उनमें से पांच की तस्वीरें खींची गईं।
संगठन ने एक्स (टि्वटर) पर कहा कि 'मिस यूनिवर्स ऑर्गनाइजेशन' ने इंडोनेशिया में अपनी वर्तमान फ्रेंचाइजी, पीटी कैपेला स्वस्तिका कार्या और इसके राष्ट्रीय निदेशक, पोपी कैपेला के साथ संबंध समाप्त करने का फैसला किया है। संगठन ने कहा कि मिस यूनिवर्स इंडोनेशिया में जो कुछ हुआ, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि यह फ्रेंचाइजी हमारे ब्रांड मानकों, नैतिकता या अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी है।
संगठन ने यह भी कहा कि महिलाओं के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। संगठन ने घोषणा की कि वह मिस यूनिवर्स मलेशिया 2023 को रद्द कर देगा, क्योंकि इसे इंडोनेशियाई कंपनी द्वारा आयोजित किया जाना था।
संगठन ने कहा, 'हम यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि दुनिया भर में मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए ऊंचाई, वजन या शरीर के आयाम जैसे किसी माप की आवश्यकता नहीं है।'
मिस यूनिवर्स एक वार्षिक अंतरराष्ट्रीय प्रमुख सौंदर्य प्रतियोगिता है, जिसका स्वामित्व और संचालन अमेरिका और थाईलैंड की कंपनी मिस यूनिवर्स संगठन के पास है। मिस यूनीवर्स मिस वर्ल्ड, मिस इंटरनेशनल और मिस अर्थ के साथ चार बड़ी अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिताओं में से एक है।
कनाडा में खालिस्तान समर्थकों ने एक और हिंदू मंदिर को अपने पोस्टर चिपका कर विरूपित किया
टोरंटो
कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में एक प्रमुख मंदिर में दो खालिस्तान समर्थकों ने ''हिंदू विरोधी और भारत विरोधी नारे'' लिखे पोस्टर चिपका कर उसे विरुपित कर दिया।
देश में हिंदू पूजा स्थलों को निशाना बनाने की यह हालिया घटना है। घटना रात 12 बजकर 29 मिनट के आसपास सरे स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में हुई।
मंदिर के फेसबुक पेज के अनुसार, एक पुरुष और एक महिला ने बाहरी दीवार से कूदकर मंदिर में प्रवेश किया और मुख्य प्रवेश द्वार और सरे मंदिर के प्रवेश द्वार पर खालिस्तानी विचारधारा के समर्थन वाले पोस्टर चिपका दिए।
पोस्ट के अनुसार, ''12 अगस्त, 2023 को देर रात 12 बजकर 29 मिनट पर मंदिर के अंदर जो हुआ वह वास्तव में बहुत दुखद है। एक पुरुष और एक महिला बाहरी दीवार से कूदकर मंदिर में घुसे और मुख्य प्रवेश द्वार तथा सरे मंदिर के प्रवेश द्वार पर खालिस्तान समर्थक पोस्टर चिपका दिए।''
भारत ने पहले भी कनाडा में खालिस्तान समर्थकों द्वारा हिंदू मंदिरों पर हमलों की निंदा की है और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
मंदिर के फेसबुक पेज पर डाले गए पोस्ट में कहा गया है कि यह कृत्य हिंदुओं में भय का माहौल पैदा करने के लिए किया गया है।
मंदिर की वेबसाइट पर कहा गया है, ''नफरत फैलाने वालों और ध्यान आकर्षित करने वालों ने हिंदू मंदिर को भी नहीं छोड़ा है और मंदिर के मुख्य द्वार पर ये पोस्टर लगाकर और मंदिर की संपत्ति में सेंधमारी करके लक्ष्मी नारायण मंदिर, सरे को अपवित्र किया है।''
मंदिर की वेबसाइट पर लिखा है, ''अगर वे न्याय मांग रहे हैं, तो उन्हें इसे पाने के लिए कानूनी रास्ते तलाशने चाहिए, न कि पवित्र स्थानों का अपमान करना चाहिए। हम यहां पूजा करते हैं और हमें यहां मर्यादा बनाए रखने की जरूरत है। भगवान, कृपया उन्हें कुछ ज्ञान दें। हम पूजा स्थल पर किसी भी तरह की ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा करते हैं।''
यह पहली बार नहीं है जब कनाडा में हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गई है।
कनाडा के ओन्टारियो प्रांत में अप्रैल में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में अज्ञात लोगों ने ''हिंदू विरोधी और भारत विरोधी'' पोस्टर लगाए थे, जिसे पुलिस ने ''घृणा से प्रेरित घटना'' बताया था। जनवरी में ब्रैम्पटन में गौरी शंकर मंदिर को भारत विरोधी नारों से विरुपित किया गया था, जिससे भारतीय समुदाय में आक्रोश फैल गया था।
टोरंटो में भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने कहा था कि मंदिर को विरूपित करने से कनाडा में भारतीय समुदाय की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है।
पिछले साल कनाडा में मंदिरों के विरूपण की कम से कम तीन ऐसी घटनाएं दर्ज की गईं।
विदेश मंत्रालय ने पहले भी कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की भारतीयों के खिलाफ घृणा अपराधों और भारत विरोधी गतिविधियों में वृद्धि की निंदा की है और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत ने कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे अपने साझेदार देशों से ''चरमपंथी खालिस्तानी विचारधारा'' को जगह नहीं देने को कहा है क्योंकि यह संबंधों के लिए ''अच्छा नहीं'' है।