‘भारत जोड़ो’ के बाद कांग्रेस से क्यों दूर हो रहे विपक्षी दल? राहुल गांधी कितनी बड़ी वजह
नई दिल्ली
2024 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता पर चर्चाएं जारी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय या बड़ा ऐलान सामने नहीं आया है। हालांकि, हाल ही में कुछ नेताओं की बैठकों ने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लामबंद होना शुरू कर दिया है। माना भी जा रहा है कि ये दल विपक्षी एकता पेश कर सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन दलों में कहीं भी कांग्रेस का नाम नहीं है। जानकार संभावनाएं जताते हैं कि वायनाड सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद विपक्षी एकता के समीकरण कांग्रेस के लिए कुछ बदले हैं।
ताजा तैयारियां समझें
शुक्रवार को ही उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी की कोलकाता में मुलाकात हुई। कहा गया कि दोनों के बीच कांग्रेस के बगैर तीसरा मोर्चा बनाने पर बात हुई। हाल ही में विपक्षी दलों के कुछ नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। इनमें आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान, भारत राष्ट्र समिति के के चंद्रशेखर राव, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्लाह, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे थे।
हालांकि, यह सिलसिला थमा नहीं है। खबर है कि सीएम बनर्जी ओडिशा सीएम नवीन पटनायक से मुलाकात करने जा रही हैं। इसके अलावा वह मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में दिल्ली आकर भी विपक्षी नेताओं से मिल सकती हैं। इधर, दिल्ली सीएम केजरीवाल ने भी पहले 7 मुख्यमंत्रियों के लिए डिनर की योजना बनाई थी, जो बाद में रद्द हो गई।
क्या भारत जोड़ो यात्रा से बदला हाल?
कांग्रेस को लेकर इन विपक्षी दलों का रवैया हमेशा ऐसा नहीं था। 90 के दशक में कांग्रेस से अलग होने वालीं बनर्जी ने तब पश्चिम बंगाल चुनाव कांग्रेस के ही साथ लड़ा। वह यूपीए काल में रेल मंत्री भी रहीं। 2021 में भाजपा को बंगाल चुनाव हराने के बाद बनर्जी ने दिल्ली पहुंचकर तत्कालीन अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात भी की थी। इधर, आप भी दिल्ली में कांग्रेस के साथ रह चुकी है। उस दौरान कुछ ही महीनों बाद हुई विपक्षी दलों की बैठक में ममता और सोनिया दोनों ही मौजूद रही थीं। इसके बाद जुलाई 2022 में भी बड़े स्तर पर बैठक हुई।
आगे क्या हुआ?
कहा जा रहा कि 2022 के अंत में हुई सियासी गतिविधियों ने हालात को बदल दिया। तब राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की थी। यात्रा के ही दौरान कांग्रेस को मल्लिकार्जुन खड़गे के तौर पर नया अध्यक्ष मिला। अब कहा जा रहा है कि राहुल को मिली स्पाटलाइट कई विपक्षी दलों पर भारी पड़ गई थी। माना जाता है कि विपक्षी दलों को मोदी के खिलाफ राहुल से बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं। इधर, भाजपा भी लंदन में दिए भाषण के बाद राहुल को घेरने की पूरी कोशिश कर रही है। इसी बीच भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिए हुए भाषण के चलते दिल्ली पुलिस भी कांग्रेस सांसद के दरवाजे पर पहुंच गई।
क्या है आगे का प्लान?
तीसरे मोर्चे पर फैसला लेना दलों के लिए आसान नहीं है। एक ओर जहां कांग्रेस विपक्ष की अगुवाई करना चाहती है और दूसरों के लिए कम जगह छोड़ना चाहती है। वहीं, अन्य पार्टियों को भी बड़ा हिस्सा चाहिए, लेकिन यह कांग्रेस के कद के लिहाज से सही नहीं है।
राहुल गांधी भी हैं एक सवाल
बनर्जी और केजरीवाल जैसे कई नेताओं और राहुल के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। दोनों ही नेता उन्हें गंभीर राजनेता नहीं मानते। दोनों ही नेता अपने बातों से इशारा कर रहे हैं कि राहुल अपने कामों के जरिए भाजपा का ही फायदा करा रहे हैं। साथ ही टीएमसी और आप कांग्रेस को दिल्ली से पंजाब और बंगाल से मेघालय तक बड़ी चोट दे रहे हैं।