देश

सरकार से मांगे आंकड़े-खत्म हो सकती है फांसी की सजा, विकल्पों पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली
क्या देश में फांसी देने के बजाए कोई और कष्टरहित मौत की सजा दी जा सकती है, इस पर सुप्रीम कोर्ट जल्द विचार करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि इस मामले को लेकर एक विशेषज्ञ कमेटी बनाई जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस बारे में आंकड़े मांगे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि फांसी देने से कितना कष्ट होता है, आधुनिक साइंस और तकनीक का फांसी की सजा पर क्या विचार है, क्या देश या विदेश में मौत की सजा के विकल्प का कोई आंकड़ा है।

सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 2 मई को सुनवाई करेगा। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता और एजी आर वेंकटरमनी से कहा, ये चिंतन का विषय है, हमें अपने हाथों में कुछ वैज्ञानिक आंकड़े चाहिए। हमें विभिन्न तरीकों से होने वाली पीड़ा पर कुछ अध्ययन मुहैया करवाएं। जनहित याचिका में फांसी के बजाय गोली मारने, इंजेक्शन लगाने या करंट लगने का सुझाव दिया गया है। याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि अक्टूबर 2017 का एक बहुत विस्तृत आदेश है- गरिमा से मृत्यु एक मौलिक अधिकार है। जब किसी को फांसी दी जाती है, तो उस मौत में गरिमा आवश्यक है। एक दोषी जिसका जीवन समाप्त होना है, उसे फांसी का कष्ट नहीं सहना चाहिए।

आदेश में आगे कहा गया है- जब कोई व्यक्ति फांसी के लिए जाता है तो वह किस प्रक्रिया से गुजरता है। उसके शरीर को आधे घंटे के लिए फांसी पर लटका दिया जाता है जब तक कि डॉक्टर ये न कहे कि अब वह मर चुका है, यह क्रूरता है। दूसरे देशों में भी अब फांसी धीरे-धीरे छोड़ी जा रही है। फांसी की जगह कुछ मानवीय और दर्द रहित मौत होनी चाहिए। मौत की सजा इस तरीके से दी जानी चाहिए जिसमें कम से कम दर्द हो और यातना से बचा जा सके।

 

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button