भोपालमध्यप्रदेश

राजधानी को मिलेगी नई रिंग रोड, खर्च होंगे 1100 करोड़, लंबाई 60 किमी

भोपाल

राजधानी में विकास का भी अजीब आलम है। यहां पर एक रिंग रोड अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाई है और दूसरी 1100 करोड़ की लागत से बनाने की प्लानिंग की जा रही है।   

शहर में मिसरोद गांव से कोलार के सरदार वल्ललभभाई पटेल मार्ग से होकर नीलबड़-रातीबड़ से बरखेड़ा नाथू और यहां से खजूरी सड़क से आगे तक पूरे शहर के बाहरी क्षेत्रों को जोड़ने के लिए नई रिंग रोड बनेगी।

यह रोड मौजूदा पश्चिम रिंग रोड से अलग होगी। नई तय की जा रही रिंग रोड शहर के अंदरूनी क्षेत्रों को जोड़ेगी। इसके लिए करीब 1100 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसकी लंबाई 60 किमी होगी। मौजूदा अधूरी रिंग रोड 52 किमी लंबी है।

11 मील के पास आकर रुकी रिंग रोड
 इस समय मौजूदा रिंग रोड 11 मील के पास आकर रुक गई है। यदि इसे मौजूदा स्थिति में बढ़ाते हैं तो ये कोलार के कजलीखेड़ा से केरवा डेम, कलियासोत के जंगल को पार कर बड़ा तालाब के कैचमेंट वाले गांवों से इंदौर रोड की ओर मिलाया जाएगा। कोलार रोड को पार कर अमरनाथ कॉलोनी से मौजूदा सड़कों से नीलबड़-रातीबड़ होकर आगे बरखेड़ा नाथू ओर इंदौर रोड तक जा सकेंगे। इससे लंबा चक्कर बचेगा और शहर के व्यस्ततम क्षेत्रों से गुजरना नहीं होगा।

दोनों रिंग रोड के बीच एक किमी की दूरी
नई रिंग रोड से मौजूदा रिंग रोड करीब डेढ़ किमी दूर होगी। मिसरोद से मास्टर प्लान रोड में सलैया और आगे कटारा भेल तक पांच किमी रोड प्रस्तावित है। इसे बीडीए तैयार कर रहा है। कटारा-भेल से ये आगे करोंद से बैरागढ़ की ओर बढ़ेगी। इसमें मौजूदा पुरानी सड़कों को मजबूत करने के साथ ही इन्हें चार लेन तक चौड़ा जाएगा।

अभी यह स्थिति
अभी 11 मिल से भौंरी 52 किमी लंबाई की रिंग रोड है
मिसरोद से भौंरी के बीच रास्ता नहीं होने से ये नहीं बन पाई
एमपीआरडीसी 800 करोड़ रुपए में करीब 42 किमी का हिस्सा बनाया जाएगा
मिसरोद से औबेदुल्लागंज, मंडीदीप होते हुए सीहोर रोड को पार कर भौंरी की ओर जुड़ेगा

यह होना है आगे
11 मील से बंगरसिया फोर 6 किमी सड़क का काम शुरू होगा।
16 करोड़ में अयोध्या बायपास सुधारेंगे। इस पर 80 से ज्यादा कॉलोनी कट चुकी हैं।

इनका कहना है
राजधानी के बाहर नई रिंग रोड आने वाले समय की जरूरतों को देख कर प्लान की गई है। इसके लिये प्लानिंग तैयार की गई है जो बाहर से निकलने वाले वाहनों को दूर से ही बायपास देगी।
संजय मस्के, चीफ इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी भोपाल

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