निधि वन की तरह यहां लगता है देवी का बिस्तर, रात के समय कोई नहीं पहुंच पाता मंदिर, जानें इति
हापुड़
जिस तरह भगवान श्रीकृष्ण आज भी निधि वन में रात को रासलीला करते हैं। उनके शयन के लिए बिस्तर लगते हैं, वैसे ही हापुड़ के गांव चित्तौली के बाहर स्थित श्रीचंडी मंदिर में रात को देवी मां सोने के लिए आती हैं। उनके लिए शाम होते ही मंदिर में फोल्डिंग पर पूरा बिस्तार लगाया जाता है। रात में आसपास के गांवों का कोई भी व्यक्ति मंदिर नहीं जाता।
300 साल पुराना है मंदिर
नगर स्थित श्रीचंडी देवी मंदिर का इतिहास करीब 300 साल पुराना है। यह मंदिर देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। मंदिर की गुल्लक में विदेशी करेंसी भी मिलती है। श्रीचंडी देवी मंदिर का दूसरा मंदिर गांव चित्तौली के बाहर स्थित है, जो शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर है। मंदिर के पुजारी लखन लाल मिश्रा बताते हैं कि चित्तौली के मंदिर से नगर में जोत गई थी। पुजारी के अनुसार हर दिन रात में देवी मां विश्राम करने मंदिर आती हैं और सुबह होते ही चली जाती हैं।
रात में आती थी शेर के दहाड़ने की आवाज
ग्रामीणों ने बताया कि कई दशक पहले तो रात को जब ग्रामीण जंगल में जाते थे तो शेर के दहाड़ने की आवाज आती थी। इस कारण लोगों ने डर में रात में जंगल जाना छोड़ दिया। अब कोई भी ग्रामीण रात को मंदिर नहीं जाता। जिस भी ग्रामीण ने रात को मंदिर में देवी मैया को सोते हुए देखने का प्रयास किया, वह मंदिर नहीं पहुंच पाया। पुजारी बताते हैं कि वे भी बिस्तर लगाने के बाद फिर उधर नहीं जाते
सबसे पहले गाय-भैंस का दूध चढ़ता है
ग्रामीण बताते हैं कि गांव में जिसकी भी गाय अथवा भैंस बच्चा देती है तो उसका सबसे पहले दूध श्रीचंडी देवी पर चढ़ाया जाता है। बताते हैं कि अगर कोई दूध न चढ़ाए तो उसकी भैंस अथवा गाय के दूध में खून आने लगता है।
गुफा का गेट आज तक नहीं खुला
ग्रामीण बताते हैं कि शहर स्थित मंदिर के नीचे एक गुफा है, जो चित्तौली मंदिर तक जाती है। इस गुफा का गेट बंद है जो आज तक नहीं खुल पाया है। मान्यता है कि श्रीचंडी देवी मैया उस गुफा के रास्ते से ही आवागमन करती हैं।