विधानसभा चुनाव: भाजपा-कांग्रेस तैयार कर रहे व्यूह, कांग्रेस कैंप में नाथ ही महारथी
भोपाल
विधानसभा चुनाव के लिए अब भाजपा और कांग्रेस में कौन-कौन से नेता अहम रोल में होंगे और कौन-कौन से नेता जनता के बीच में रहेंगे, यह तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। इस तस्वीर से अब यह साफ हो गया है कि प्रदेश भाजपा की टीम लीडरशिप में जहां सात नेता जनता से लेकर संगठन में अहम भूमिका निभाएंगे। वहीं प्रदेश कांग्रेस की ओर से सिर्फ कमलनाथ ही इन नेताओं के मुकाबले में जनता के बीच में किला लड़ाएंगे। जबकि उनके बाकी के नेता इतनी बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका में नहीं रहेंगे।
चलेगी चौहान की सोशल इंजीनियरिंग
विधानसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से मुख्य चेहरा होंगे। मुख्यमंत्री के रूप में चौहान की लोकप्रियता और जननायक की भूमिका पार्टी की नैया पार कर सकती है। इसलिए शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पूरा चुनाव लड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री की सोशल इंजीनियरिंग प्रदेश भर में अच्छा प्रभाव रखती है।
तोमर करेंगे चुनाव प्रबंधन-समन्वय
समन्वय और सबको साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पास है। संगठन ने इसीलिए उन्हें प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया है। इसके पहले भी वे इस भूमिका में कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं के बीच सफल समन्वयक साबित हुए हैं।
यूथ से बूथ तक की जिम्मेदारी वीडी पर
भाजपा के शुभंकर माने जाने वाले वीडी शर्मा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हैं और यूथ से लेकर बूथ तक सजग रहने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है। उनके कार्यकाल में बीजेपी ने बूथ सशक्तिकरण अभियान चलाया है और बूथों के साथ शक्ति केंद्रों और क्लस्टर क्षेत्र बनाकर संगठन को ताकतवर बनाया है।
मान-मनौव्वल और संवाद करेंगे कैलाश
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की संगठनात्मक पकड़ मजबूत है। वे वरिष्ठ नेताओं के साथ संवाद और उनकी एकजुटता के लिए संगठन में महत्वपूर्ण काम करेंगे। उनके संगठनात्मक पकड़ का लोहा पार्टी में यूथ और वरिष्ठ हर वर्ग के कार्यकर्ता और नेता मानते हैं। कोई उनकी बात टाल नहीं पाता है।
पटेल को क्षेत्रीय संतुलन
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल का पार्टी में कद इसलिए भी बड़ा है क्योंकि वे पार्टी के युवाओं के बीच अच्छा जनाधार रखते हैं। साथ ही जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने में भी उनकी भूमिका पार्टी के नजरिये से असरकारी होगी। वे संगठनात्मक कार्यक्रमों में भी अच्छा दखल रखते हैं।
ग्वालियर-चंबल में सिंधिया
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस पर तीखे हमले करने के लिए पार्टी के प्रमुख चेहरों में शामिल होंगे। वे कांग्रेस से तीन साल पहले भाजपा में आए हैं और जब तब अपने मजबूत इरादों से पूर्व मुख्यमंंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को घेरने का काम करते हैं। ग्वालियर चंबल में उनकी भूमिका सशक्त रहेगी।
विरोधियों का जवाब नरोत्तम
प्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा अपनी वाकपटुता और हाजिर जवाबी के लिए संगठन में अहम स्थान रखते हैं। सत्ता से जुड़ा मसला हो या संगठन से जुड़ी बात, वे हर तरह के मसलों का हल निकालने में माहिर हैं। उनकी वाकपटुता का लोहा विरोधी दल के नेता भी मानते हैं और इसलिए वे निर्णायक भूमिका में शामिल किए गए हैं।
कमलनाथ के वायदों और चेहरे पर ऐतबार…
जनता के बीच में पिछले कुछ महीनों से कमलनाथ ही सभाएं कर रहे हैं। उन्होंने जुलाई तक दो दर्जन से ज्यादा सभाएं की है। दरअसल कांग्रेस में उन्हें सभी नेताओं ने सर्वमान्य नेता और मुख्यमंत्री का दावेदार मान लिया है। कांग्रेस की ओर से जनता के बीच में भी पूरे प्रदेश में कमलनाथ का चेहरा और वादे ही पिछले पांच साल से चल रहे हैं। वे ही एक मात्र नेता हैं जो पार्टी की चुनाव की हर रणनीति का हिस्सा हैं। चुनाव के दौरान भी कांग्रेस की ओर से सबसे ज्यादा वे ही सभाएं करेंगे। कांग्रेस पूरा चुनाव कमलनाथ के चेहरे पर भी लड़ेगी। इसलिए कांग्रेस की ओर से पूरा चुनाव कैम्पेन नाथ के आसपास ही केंद्रित रहेगा।
सुरेश-भूरिया सोशल इफेक्ट
सुरेश पचौरी के ब्राह्मणों में कांग्रेस के मजबूत नेता माने जाते है,ं वे संगठन में रणनीति बनाने तक सीमित रहेंगे। इसी तरह कांतिलाल भूरिया आदिवासियों के नेता हैं, दोनों का सोशल इफेक्ट असरदार रहेगा। उनकी रणनीति मजबूत मानी जाती है। उनकी इस बार सभाएं कम संख्या में ही होगी। भोपाल और नर्मदापुरम और उसके आसपास के हिस्सों में ही उनकी सभाएं चुनाव के वक्त हो सकती है।
कार्यकर्ताओं से संवाद
दिग्विजय सिंह दस साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे पिछले चुनाव में उनकी सभाओं की संख्या कमलनाथ के मुकाबले में कम रही थी। जबकि उनके समर्थक पूरे प्रदेश में है अब वे जनता के बीच में कम रहेंगे और कार्यकर्ताओं के बीच ज्यादा दिखाई देंगे। क्योंकि वे जनता से ज्यादा कार्यकर्ताओं के सीधे संवाद में हैं।
अजय विंध्य में…
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने अपने को फिलहाल विंध्य तक सीमित कर रखा है। वे विंध्य में सक्रिय हैं और उसके अलावा वे अपने प्रभार वाले जिले में इन दिनों समय दे रहे हैं। दिग्विजय सिंह के बाद प्रदेश कांग्रेस के वे बड़े क्षत्रिय नेता में शुमार हैं। उनकी व्यापकता इन दिनों विंध्य तक सीमित हो गई है। वे चुनाव के दौरान विंध्य क्षेत्र में ही ज्यादा सक्रिय दिखाई दे सकते हैं।
यादव निमाड़ में…
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव निमाड़ के बड़े नेता माने जाते हैं। यादव समाज में भी उनकी अच्छी खासी पैठ है। उनके समर्थक भी प्रदेश के कई हिस्सों में हैं, लेकिन चुनाव में वे मालवा और निमाड़ के अलावा उन क्षेत्रों तक समिति रखा जा सकता हैं, जहां पर यदुवंश्यिों की संख्या ज्यादा है। ताकि चुनाव में इसका लाभ मिल सके।