संजय मिश्रा को ED निदेशक बनाए रखने पर क्यों अड़ी सरकार, सुप्रीम कोर्ट को क्या बताया
नई दिल्ली
प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के सेवा विस्तार के लिए केंद्र सरकार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। दरअसल, 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फैसला सुनाया था, जहां 31 जुलाई तक नए निदेशक की नियुक्ति की बात कही गई थी। बुधवार को सरकार ने शीर्ष न्यायालय को बताया है कि FATF यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की समीक्षा के चलते मिश्रा का पद पर बने रहना अहम है। फिलहाल, सरकार की याचिका पर गुरुवार दोपहर को सुनवाई होनी है।
बार एंड बेंच के अनुसार, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट मांग की है कि मिश्रा को 15 अक्टूबर तक पद पर बने रहने देना चाहिए। सरकार ने वजह बताई है कि इसके चलते भारत के मनी लॉन्ड्रिंग ऑपरेशन्स की FATF समीक्षा आराम से पूरी हो जाएगी। मुकेस कुमार मरोरिया की तरफ से दाखिल याचिका के जरिए कहा गया है कि अगर राष्ट्र हित में मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाया जाना जरूरी है, तो उसे बढ़ाया जाना चाहिए।कहा गया, 'प्रवर्तन निदेशालय के नेतृत्व में इस समय कोई भी बदलाव, (FATF) आकलन में एजेंसी की तरफ से मिलने वाले सहयोग को खासा प्रभावित करेगा और ऐसे में यह भारत के राष्ट्र हित में विपरीत असर डालेगा… (मिश्रा) का इस प्रक्रिया के दौरान बने रहना बेहद जरूरी है।'
क्या है सेवा विस्तार का मामला
11 जुलाई को ही जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने मिश्रा को मिले सेवा विस्तार को खारिज कर दिया था। उनका कार्यकाल बढ़ाए जाने को सुप्रीम कोर्ट के 2021 के फैसले का उल्लंघन बताया गया था। तब शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि मिश्रा को नवंबर 2021 के बाद कोई भी विस्तार नहीं दिया जा सकता है।
संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल
मिश्रा को पहली बार नवंबर 2018 में ईडी का निदेशक बनाया गया था। उनका कार्यकाल नवंबर 2020 में खत्म हुआ। मई 2020 में वह रिटायरमेंट की उम्र 60 पर पहुंच गए थे।
सरकार की कार्रवाई
अब 13 नवंबर को ही केंद्र सरकार की तरफ से आदेश आया कि राष्ट्रपति ने 2018 में संशोधन किए हैं, जिसके तहत 2 साल की अवधि को बदलकर 3 साल किया गया था। अब इसे एक एनजीओ ने शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी थी। तब सुप्रीम कोर्ट संशोधन को तो मंजूरी दे दी थी, लेकिन मिश्रा को और सेवा विस्तार मिलने के खिलाफ फैसला सुनाया था। 2021 में कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (CVC) एक्ट में संशोधन कर एक अध्यादेश लाई, जिसके तहत खुद को ही ED निदेशक का कार्यकाल 5 सालों तक बढ़ाने की शक्तियां दी गईं। बाद में संसद ने कानून पास कर दिया, जिसमें ईडी निदेशक के कार्यकाल को एक बार में एक साल बढ़ाने की अनुमति दी गई।