नारायणपुर
जिले के ग्राम करलखा और कोचवाही के गौठान में फसलों की संजीवनी गौमूत्र से ब्रम्हास्त्र बनाई जा रही है। वर्तमान में जब रसायन युक्त खेती के कई हानिकारक प्रभावों से हमें जूझना पड़ रहा है, तब जैविक खेती को अपनाने की पहल भी शुरू हो रही है। जैविक खेती में मुख्य रूप से गोबर खाद का उपयोग किया जाता है, लेकिन कीट पतंगों से बचाव के लिए कोई विशेष उपाय नहीं होने के कारण अधिकतर किसान का फसल नुकसान हो जाता है। फसलों की बचाव के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का एक महत्वपूर्ण नवाचार फसल की बचाव के लिए संजीवनी साबित हो रही है।
जिले के किसानों को उपलब्ध कराने हेतु जिला प्रशासन के द्वारा गौठानों में स्व सहायता समूह के सदस्यों के माध्यम से गौमूत्र से ब्रम्हास्त्र तैयार किया जा रहा है। गौमूत्र विशेष गुणों से युक्त होता है, जिसका प्रयोग विभिन्न कार्यों में किया जाता है। गौवंश के संरक्षण संवर्धन और महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से गोठानों में जैविक कीट नियंत्रक ब्रह्मास्त्र का उत्पादन किया जा रहा है। इसे बनाने के लिए गौमूत्र को पांच प्रकार की पत्तियों जैसे नीम, करंजी, पपीता, सीताफल और अमरुद के साथ उबालकर ठंडा किया जाता है और पैकेजिंग कर विक्रय किया जा रहा है। इसे उपयोग करने के लिए 5 लीटर ब्रह्मास्त्र को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रत्येक पंद्रह दिनों में फसलों में छिड़काव किया जाता है। इसके अतिरिक्त किसानों की मांग अनुसार गौमूत्र वृद्धि वर्धक का उत्पादन भी किया जा रहा है। एक लीटर ब्रह्मास्त्र पचास रुपए में और वृद्धि वर्धक चालीस रुपए में करलखा एवं कोचवाही गौठान तथा सी मार्ट से खरीदा जा सकता है। करलखा में झांसी की रानी महिला स्व सहायता समूह और कोचवाही में सरस्वती महिला स्व सहायता समूह के इन उत्पादों को विक्रय कर 64 हजार 950 रूपए की आय अर्जित की गई है। रसायन मुक्त भोजन और स्वस्थ जीवनशैली के लिए गौमूत्र आधारित खेती वर्तमान की मांग है। गौठान में स्व सहायता समूह की महिलाओं को ब्रम्हास्त्र बनाने के साथ ही स्व रोजगार मिल रही है, जिससे समूह के सदस्य खुश होकर सरकार के प्रति आभार व्यक्त किये हैं।