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रोटी के लिए बुद्ध की शरण में पहुंचा तालिबान, कभी तोप से उड़ा चुका है विशाल प्रतिमा

नई दिल्ली
जब पेट को रोटी की जरूरत होती है, तो लोग हर हद को पार करने के लिए तैयार रहते हैं और यही काम अब तालिबान कर रहा है। अफगानिस्तान के ऐतिहासिक जिस बुद्ध की प्रतिमा को तालिबान ने नष्ट कर दिया था, अब उसी प्रतिमा वाले जगह से पैसे कमाने की योजना पर काम कर रहा है। तालिबान जिसने खुद ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण 'बामियान के बुद्धों' को नष्ट कर दिया था, अब उस खाली जगहों से पैसा कमाना चाहता है, क्योंकि उसे नकदी की सख्त जरूरत है।

 इटली के एक समाजशास्त्री और लेखक मास्सिमो इंट्रोविग्ने ने बिटर विंटर में अपने लेख में लिखा है, कि उन्हें यात्रा काफी पसंद है, बावजूद उन्होंने अफगानिस्तान की यात्रा करने से मना कर दिया है। क्योंकि, वो नहीं चाहते हैं, जिस बुद्ध की प्रतिमा को तालिबानियों ने एक समय ध्वस्त कर दिया था, अब उनकी मदद से वो, उसी जगह से पैसा कमाए।" उन्होंने लिखा है, कि "अफगानिस्तान शासन को नकदी की सख्त जरूरत है। यह बामियान बुद्धों को उस अच्छे कारण से नहीं दिखा सकता, जिस कारण इसने उन्हें उड़ा दिया। लेकिन यह पर्यटकों से पैसे लेकर उन्हें अब उस साइट पर ले जाएगा।"

जजिया टैक्स वसूलेगा तालिबान मास्सिमो इंट्रोविग्ने ने लिखा है, कि "तालिबान ने 2001 में बुद्ध की विशाल प्रतिमा को तोपखाने की आग और टैंक रोधी बारूदी सुरंगों में विस्फोट करके छठी शताब्दी ई.पू. की विशाल मूर्तियों को तोड़ दिया था। अब, जनता केवल उन खाली जगहों को देख सकती है, जहां कभी बौद्ध मूर्तिकला की ये उत्कृष्ट कृतियां खड़ी थीं, और वहां ध्यान कर सकती हैं। लेकिन यह मुफ़्त में नहीं, बल्कि तालिबान शासन इसके लिए पैसे वसूलेगा।" लेखक ने आगे कहा है, कि वह नाजी पार्टी के नूर्नबर्ग प्रोपेगेंडा मुख्यालय और कंबोडिया में खमेर रूज सामूहिक कब्रों के स्थान को देखने के लिए शुल्क का भुगतान भी कर सकता है, क्योंकि, यहां पैसा एडॉल्फ हिटलर या पोल पॉट को नहीं, बल्कि उसके बाद की वर्तमान सरकारों को जा रहा है।

 लेकिन, अफगानिस्तान के मामले में, यह तालिबान ही है जिसने अपराधों को अंजाम दिया और सरकार में रहते हुए पैसा वसूलने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा, कि "मैं समझता हूं, कि नष्ट की गई मूर्तियों के खाली आलों की अपनी उदासी भरी सुंदरता है। लेकिन, मैं अपने टिकट से तालिबान का समर्थन नहीं करना चाहता।" पहले शासनकाल में उड़ाई थी मुर्तियां आपको बता दें, कि साल 2001 में पहली बार अफगानिस्तान में शासन संभालने के बाद तालिबान ने बौद्ध की प्रतिमाओं को तोप से उड़ा दिया था।

वहीं, साल 2003 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों की लिस्ट में बामियान बुद्धों के अवशेषों को शामिल कर लिया था। कहा जाता है, कि बलुआ पत्थर की चट्टानों को काटकर बामियान बुद्धों की मुर्तियों का निर्माण किया गया था और एक वक्त ये दुनिया की सबसे ऊंची और विशालकाय प्रतिमाओं में से एक थी। यहां मौजूद एक मूर्ति की ऊंचाई 55 मीटर तो दूसरी मूर्ति की ऊंचाई 38 मीटर थी।
 

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