17,176 पैक्स को सामान्य सेवा केंद्र के रूप में काम करने के लिए पंजीकृत किया गया: अमित शाह
नई दिल्ली
सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि अब तक 17,176 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) के रूप में काम करने के लिए पंजीकृत किया गया है। ये पैक्स ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग, बीमा और आधार नामांकन जैसी 300 से अधिक सेवाएं दे सकेंगे।
शाह ने कहा कि देश भर में लगभग 95,000 पैक्स हैं और जल्द ही सभी सीएससी का संचालन कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि अगले कुछ वर्षों में लगभग तीन लाख नए पैक्स स्थापित किए जाएंगे, जो शुरुआत से ही ये सेवाएं दे सकेंगे। वह यहां ‘पैक्स के माध्यम से सीएससी सेवाओं की आपूर्ति पर राष्ट्रीय संगोष्ठी’ को संबोधित कर रहे थे।
शाह ने कहा, ”आज पैक्स और सीएससी दोनों एक दूसरे से जुड़ रहे हैं। इससे न केवल गरीबों के लिए सुविधाएं बढ़ेंगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा और नई ताकत मिलेगी।” उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार दोपहर तक लगभग 17,176 पैक्स ने सीएससी के रूप में काम करने के लिए अपना पंजीकरण करा लिया है। इसमें से 6,670 पैक्स ने लेनदेन भी शुरू कर दिया है।
शाह ने कहा कि आने वाले 1-2 सप्ताह में बाकी पंजीकृत पैक्स भी लेनदेन शुरू कर देंगे। इससे लगभग 13-14 हजार युवाओं को ऑपरेटर के रूप में रोजगार मिलेगा। मंत्री ने कहा कि सीएससी जल्द ही रेल आरक्षण सेवा शुरू करेंगे और उन्हें हवाई यात्रा के लिए टिकट बुक करने की अनुमति देने के प्रयास भी जारी हैं।
पैक्स को सीएससी की सेवाएं देने में सक्षम बनाने के लिए फरवरी में एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह एमओयू सहकारिता मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नाबार्ड और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के बीच हुआ था।
ये पैक्स नागरिकों को सीएससी योजना के डिजिटल सेवा पोर्टल पर सूचीबद्ध सभी सेवाएं दे सकते हैं। इनमें बैंकिंग, बीमा, आधार नामांकन, कानूनी सेवाएं, कृषि उत्पाद एवं उपकरण, पैन कार्ड, आईआरसीटीसी, रेल, बस और हवाई टिकट संबंधी सेवाएं आदि शामिल हैं।
शाह ने कहा, ”अगर सहकारी आंदोलन को मजबूत करना है तो सबसे पहले इसकी सबसे छोटी इकाई पैक्स को मजबूत करना होगा और इसलिए मोदी सरकार ने उनके आधुनिकीकरण के लिए कई कदम उठाए हैं।”
संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस मौके पर कहा कि सक्रिय सीएससी की संख्या 2014 में 83,000 से बढ़कर इस समय 5.19 लाख तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि पैक्स के सीएससी के रूप में काम करने से ग्रामीण आबादी अब बहुत कम लागत पर कई सेवाएं प्राप्त कर सकेगी। सरकारी योजनाओं तक उनकी पहुंच आसान होगी।