”गिग और प्लेटफॉर्म” अर्थव्यवस्था की क्षमताएं भुनाने के लिए नये जमाने की नीतियां जरूरी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
इंदौर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि ''गिग और प्लेटफॉर्म' अर्थव्यवस्था में युवाओं के लिए रोजगार की अपार क्षमता है। उन्होंने इस अर्थव्यवस्था की क्षमताएं भुनाने के लिए वैश्विक स्तर पर नये जमाने की नीतियां बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया।
मोदी ने जी20 के देशों के श्रम और रोजगार मंत्रियों की इंदौर में आयोजित बैठक में वीडियो संदेश के जरिये कहा, ''कोविड-19 के प्रकोप के दौरान (कामकाज के) लचीलेपन के रूप में उभरी गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था में खासकर युवाओं के लिए फायदेमंद रोजगार सृजन की खासी क्षमता है। यह अर्थव्यवस्था महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त कर सकती है।''
स्वतंत्र रूप से अस्थायी कार्य और ऑनलाइन मंचों पर काम करने वाले लोगों को ‘गिग और प्लेटफॉर्म’ कर्मचारी कहा जाता है। जी20 समूह की बैठक में इस श्रेणी के कर्मचारियों को पर्याप्त और टिकाऊ सामाजिक सुरक्षा के साथ उचित रोजगार देने पर खास जोर दिया गया है।
मोदी ने जी20 समूह के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा, ''हमें गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था की क्षमताएं भुनाने के लिए नये जमाने की नीतियां बनाने की जरूरत है। हमें इस अर्थव्यवस्था के कर्मियों को पर्याप्त और नियमित रोजगार प्रदान करने के टिकाऊ समाधानों के साथ ही उन्हें सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के दायरे में लाने के नये मॉडल ढूंढने होंगे।'' उन्होंने बताया कि भारत के ''ई-श्रम पोर्टल'' के जरिये इन कर्मियों के हित में लक्षित कदम उठाए जा रहे हैं, जिस पर महज एक साल में करीब 28 करोड़ कर्मियों ने पंजीकरण कराया है।
मोदी ने कहा कि लोगों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराना वर्ष 2030 के सतत विकास लक्ष्यों का प्रमुख पहलू है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा इन दिनों अपनाए जा रहे ढांचे के कुछ ''संकीर्ण'' रास्तों के कारण हितग्राहियों तक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, बीमा और पेंशन समेत कई फायदे नहीं पहुंच पा रहे हैं। उन्होंने कहा, ''हमें हितग्राहियों तक ये लाभ पहुंचाने के बारे में फिर से विचार करना चाहिए ताकि सामाजिक सुरक्षा के परिदृश्य की सही तस्वीर उभर सके।''
मोदी ने जोर देकर कहा कि ''सबके लिए एक जैसा नजरिया'' रखना सामाजिक सुरक्षा के सतत वित्तपोषण के लिहाज से मुफीद नहीं है और इस सिलसिले में हर देश की अद्वितीय आर्थिक क्षमताओं, शक्तियों और चुनौतियों का ध्यान रखा जाना ही चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि जी20 के प्रतिनिधि अपनी महारत के इस्तेमाल से इस विषय में उचित तंत्र बनाने पर विचार करेंगे। गौरतलब है कि इस समय जी20 की अध्यक्षता भारत के पास है।
प्रधानमंत्री ने तकनीकी को रोजगार का मुख्य कारक करार देते हुए कहा कि उन्नत तकनीकी और प्रक्रियाओं के इस्तेमाल से कार्यबल को कौशलसंपन्न बनाया जाना वक्त की जरूरत है। मोदी ने कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति के मौजूदा दौर में तकनीकी, रोजगार का मुख्य कारक बन गई है और आगे भी बनी रहेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लगातार भ्रमण करने वाला कार्य बल भविष्य की हकीकत बनने जा रहा है, लिहाजा विकास को वैश्विक स्वरूप देते हुए कौशलों को सच्चे मायनों में साझा किया जाना वक्त की मांग है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जी20 समूह को इस सिलसिले में अगुवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में कर्मियों के पलायन और गतिशीलता के मद्देनजर सहयोग और तालमेल के नये वैश्विक मॉडलों के साथ ही नई साझेदारियों की जरूरत है।
मोदी ने सुझाया कि नियोक्ताओं और कर्मचारियों से जुड़े आंकड़े और सूचनाएं साझा करके इस गठजोड़ की बढ़िया शुरुआत की जा सकती है जिससे बेहतर कौशल विकास, कार्यबल नियोजन और लाभप्रद रोजगार प्रदान करने के लिए साक्ष्य आधारित नीतियां बनाने में दुनिया भर के देशों के प्रयासों को मजबूती मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नई तकनीकों के कारण गुजरे अरसे में हुए बदलावों के दौरान भारत को तकनीकी से जुड़े रोजगार बड़े पैमाने पर सृजित करने का अनुभव है। उन्होंने बताया कि भारत में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत अब तक 1.25 करोड़ से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है।
मोदी ने कहा कि देश ने कृत्रिम मेधा (एआई), रोबोटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और ड्रोन के क्षेत्रों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। मोदी ने कहा,''भारत में कुशल कार्यबल मुहैया कराने वाले दुनिया के सबसे बड़े देशों की जमात में शामिल होने की क्षमता है।''