रायपुर
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने 374 करोड़ 8 लाख रुपए की लागत से निर्मित राजमाता श्रीमती देवेन्द्र कुमारी सिंह शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय भवन तथा माता राजमोहिनी देवी स्मृति चिकित्सालय के निर्माण कार्यों का लोकार्पण किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि हम नागरिकों तक केवल सुविधा नहीं पहुंचाना चाहते, बल्कि अत्याधुनिक और गुणवत्तापूर्ण सुविधाओं की पहुंच भी सुनिश्चित करना चाहते हैं। इन कार्यों में मुख्य रूप से 54.26 करोड़ रुपए की लागत से बने महाविद्यालय भवन, 120.73 करोड़ रुपए की लागत से बने हॉस्पिटल भवन के साथ आॅडिटोरियम, छात्रावास, स्टाफ क्वार्टर, डीन आवास सहित अन्य कार्य शामिल हैं।
मुख्यमंत्री कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कह रहे हैं कि आज का यह दिन सरगुजा के लोगों के लिए बड़ी उपलब्धियों वाला दिन है। यह मेरे लिए भी यह बहुत खुशी का अवसर है कि आज राजमाता श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय का लोकार्पण हो रहा है। इस मेडिकल कॉलेज भवन, चिकित्सालय और आवासीय परिसर की कुल लागत 374 करोड़ रुपए है। इस मेडिकल कॉलेज की खासियत है कि यहां मेडिकल स्टूडेंट्स के कौशल एवं दक्षता विकास के लिए स्किल्स लैब और बहरेपन के परीक्षण एवं ईलाज की विशेष सुविधा उपलब्ध है। माता राजमोहिनी देवी स्मृति चिकित्सालय में मेडिसीन, सर्जरी, आथोर्पेडिक्स, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग, शिशुरोग विभाग, निश्चेतना विभाग, नेत्ररोग विभाग सहित तमाम तरह के विभाग हैं।अस्पताल में और भी अनेक तरह की अत्याधुनिक जांच सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
नये कॉलेज भवन में 8 विभागों का संचालन होगा, इनमें एनाटॉमी, बायोकेमेस्ट्री, फिजियोलॉजी, कम्यूनिटी मेडिसीन, फोरेंसिक मेडिसीन माइक्रोबायोलॉजी, फामार्कोलॉजी विभाग शामिल हैं।अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की अधोसंरचना का काम पूरा हो जाने से पूरे सरगुजा संभाग को इसका लाभ मिलेगा। मुख्यमत्री बघेल ने कहा कि सरगुजा संभाग एक आदिवासी बहुत संभाग है। यह समाज का वह तबका है जो सदियों से मूलभूत सुविधाओं और अधिकारों से वंचित रहा है। मुझे इस बात की खुशी है कि हमारे प्रयासों से आज प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में चिकित्सा और शिक्षा की रौशनी पहुंच रही है।
हमने मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना की जब शुरूआत की थी, तब उसका उद्देश्य यही था कि हम दुर्गम से दुर्गम गांवों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचा पाएं। जब हमने मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना और दाई-दीदी क्लीनिक योजना शुरू की, तब हमारा उद्देश्य शहर की स्लम बस्तियों में रहने वाले गरीब लोगों और माताओं-बहनों की चौखट तक चिकित्सा सुविधा पहुंचा पाएं, लेकिन हमारा लक्ष्य इससे भी कहीं ज्यादा बड़ा है। हम नागरिकों तक केवल सुविधा नहीं पहुंचाना चाहते, बल्कि अत्याधुनिक और गुणवत्तापूर्ण सुविधाओं की पहुंच भी सुनिश्चित करना चाहते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हम चिकित्सा और शिक्षा की इतनी मजबूत अधोसंरचना का निर्माण करें कि छत्तीसगढ़ की पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो।
हमारे कार्यकाल में राज्य में 8 नये शासकीय मेडिकल कॉलेज खोलने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। इनमें से 04 खोले जा चुके हैं, 04 और प्रक्रिया में है।
हमने विकासखंड से लेकर जिला मुख्यालय तक अपने सभी सरकारी अस्पतालों को सुविधाओं से लैस किया है। डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की कमी को दूर करते हुए उनकी तैनाती की है। जब देश में कोरोना संकट आया, तब पूरे देश ने छत्तीसगढ़ की क्षमता और सरकार की इच्छाशक्ति को देखा। उस संकट की घड़ी में हम अपने अस्पतालों को मजबूत करने में जुटे हुए थे। मैं पहले भी इस बात को कह चुका हूं कि चिकित्सा और शिक्षा हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता के विषय हैं। हम सुविधाओं के विस्तार के साथ साथ बेहतर वातावरण भी सुनिश्चित कर रहे हैं। सभी को साफ पीने का पानी मिले, शहरों में भी स्वच्छ हवा मिले, हमारी नदियां और तालाब बचे रहें, सभी तरफ अच्छी साफ-सफाई हो, खेतों में रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कम से कम हो, जैविक खेती को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा मिले, इन तमाम क्षेत्रों में हमने योजनाएं बनाईं और प्रभावी तरीके से उनका क्रियान्वयन किया।
उन्होंने कहा कि हमने सुविधाओं को गरीब से गरीब व्यक्ति के लिए भी सुलभ बनाया। हमने श्री धन्वंतरी जैनेरिक मेडकिल स्टोर्स खोले, ताकि हर व्यक्ति को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं मिल सके। डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना और मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के माध्यम से हमने सभी लोगों को सभी तरह की बीमारियों के इलाज के लिए सक्षम बनाया। इन योजनाओं में मरीजों को इलाज के लिए 05 लाख रुपए तक की सहायता दी जाती है।