अजित पवार खेमे के मंत्री को BJP नेता की खुली चुनौती, शिंदे सेना भी दे रही चेतावनी
नई दिल्ली
अजित पवार के फैसले का असर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ही नहीं, बल्कि शिवसेना और अब भारतीय जनता पार्टी में भी नजर आ रहा है। एक ओर जहां अटकलें थीं कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के विधायक नेता पवार की एंट्री से खुश नहीं हैं। वहीं, अब भाजपा के एक नेता ने अजित के करीबी और मंत्री हसन मुश्रीफ की सीट कागल विधानसभा से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
कोल्हापुर से भाजपा नेता समरजीत घाटगे ने घोषणा की है कि वह अगले साल होने वाले चुनावों में कागल विधानसभा सीट से उतरेंगे। अब इसे मुश्रीफ के लिए खुली चुनौती के तौर पर माना जा रहा है। उन्होंने कहा, 'मैं 2024 में कागल विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतरूंगा। मैं अपनी पार्टी क्यों छोड़ूं। इसके विपरीत मेरी उम्मीदवारी मजबूत करने में मदद की है।'
मुश्रीफ से हारे थे घाटगे
कागल सीट पर मुश्रीफ और घाटगे के बीच चुनावी जंग कोई नई बात नहीं है। साल 2019 विधानसभा चुनाव में कागल सीट से ही मुश्रीफ ने घाटगे को हराया था। खास बात है कि मुश्रीफ को कैबिनेट में शामिल किए जाने के बाद घाटगे की तरफ से आपत्ति भी दर्ज कराई गई थी। जिसके बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एक्शन में आए और व्यक्तिगत तौर पर भाजपा नेता से मुलाकात की थी।
उन्होंने कहा, 'फडणवीस ने मुझसे एक घंटे तक बात की और मुझे भरोसा दिया है कि कागल में मेरे कद के साथ कोई समझौता नहीं होगा। साथ ही मुझे फील्ड वर्क के लिए कहा गया है।' उन्होंने कहा, 'मुझे भरोसा है कि एनसीपी के साथ जाने का फैसला भाजपा के हित में होगा।' चुनाव को लेकर घाटगे ने बताया, 'जहां तक मेरी उम्मीदवारी का सवाल है, तो उसमें कोई अस्पष्टता नहीं है। हम न केवल जीतेंगे, बल्कि बड़े अंतर से जीतेंगे।'
शिवसेना में खत्म नहीं हुई नाराजगी
सीएम शिंदे का कहना है कि एनसीपी के आने से उनकी पार्टी में कोई भी नाराज नहीं है। हालांकि, खबरें हैं कि शिवसेना के कई नेताओं का मानना है कि पवार के आने से परेशानियां हो सकती हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शिवसेना के दो विधायकों भरत गोगावले और महेंद्र थोर्वे ने साफ कर दिया है कि अगर एनसीपी की मंत्री अदिति तटकरे को रायगढ़ जिले का संरक्षक मंत्री बनाया जाता है, तो वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे। रिपोर्ट के अनुसार, एक निर्दलीय विधायक बच्चू काडू भी भाजपा पर हमलावर हैं। वह आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा अपने साथियों की परवाह नहीं करती।