एकता, अखंडता के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान का देश सदैव ऋणी रहेगा: शाह
नई दिल्ली
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 122वीं जयंती पर बृहस्पतिवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि एकता और अखंडता के लिए उन्होंने जो योगदान दिया, उसके लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा।
शाह ने एक ट्वीट में कहा, ''श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने अपने जीवन से सिखाया कि राष्ट्रहित से बढ़कर कुछ नहीं होता। चाहे कश्मीर हो या फिर बंगाल, डॉ. मुखर्जी ने देश की एकता और अखंडता के लिए जो विराट योगदान दिया, उसके हम सदैव ऋणी रहेंगे।’
उन्होंने कहा, ‘मुखर्जी ने पहली औद्योगिक नीति की नींव रख भारत की प्रगति के मार्ग प्रशस्त किये। डॉ. मुखर्जी का राष्ट्र-समर्पण और दूरदर्शिता हमें सदैव मार्गदर्शन देगी। देश के ऐसे महान सपूत की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।’
वर्ष 1901 में तत्कालीन कलकत्ता (कोलकाता) में पैदा हुए मुखर्जी स्वतंत्र भारत के पहले वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री थे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाया था।
उन्होंने ही कश्मीर को लेकर ”नहीं चलेगा एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान” का नारा भी दिया था। लगातार दूसरी बार केंद्र में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त कर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी
नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 122वीं जयंती पर बृहस्पतिवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उनके आदर्श व सिद्धांत हर पीढ़ी को प्रेरणा देते रहेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ''महान राष्ट्रवादी चिंतक, शिक्षाविद् और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। एक सशक्त भारतवर्ष के निर्माण के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके आदर्श और सिद्धांत देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करते रहेंगे।’
वर्ष 1901 में तत्कालीन कलकत्ता (कोलकाता) में पैदा हुए मुखर्जी स्वतंत्र भारत के पहले वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री थे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाया था।
उन्होंने ही कश्मीर को लेकर ”नहीं चलेगा एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान” का नारा भी दिया था। लगातार दूसरी बार केंद्र में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया।
मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी बनी।