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यूपी के किसानों में किन्नू का मोह बढ़ा, लागत न देखभाल, उपज भी भरपूर

यूपी  
हाल के समय में उद्यान विभाग के टेलीफोन की घंटी खूब घनघना रही है। असल में किसानों का किन्नू की फसल को लेकर मोह बढ़ा है और उसकी इंक्वाइरी के लिए विभाग में पूछताछ की जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है। सवाल कई हैं, मसलन कितनी दूरी पर पेड़ लगेंगे, किस तरह देखभाल करनी है, क्या क्या करना है। यह स्थिति अकारण नहीं है। संतरे का हमशक्ल किसानों की आमदनी बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है। बीते सीजन की प्राप्ति का औसत निकाला जाए तो आंकड़ा 200 करोड़ को पार करता दिख रहा है।

उद्यान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, बीते सीजन में लगभग 50 हजार टन किन्नू की पैदावार रही। उपज का यह आंकड़ा बीते सालों की तर्ज पर ही था। लेकिन जो उपज पेड़ से उतरी, उसको हाथों हाथ खरीदार मिलने लगे। वर्ष 2021-2022 के सीजन में आगरा का लोकल किन्नू 18-22 रुपये किलो तक के रेटों पर ही बिक सका। वर्ष 2022-2023 में दाम 45 रुपये किलो तक पहुंच गए।

आंकड़ों में किन्नू
– कुल पैदावार सीजन 2022-2023: 50 हजार टन
– कुल क्षेत्रफल सीजन 2022-2023: 1500 हेक्टेयर
– कुल बिक्री राशि 2022-2023: 200 करोड़ रुपये  

दिवाली के कुछ समय बाद बाजार में किन्नू की उपज आई। उस समय मौसमी की आमद कमजोर चल रही थी। जो उपज मिल रही थी, उस में रस की मात्रा कम ही थी। ऐसे हालातों ने किन्नू की मांग को बढ़ा दिया। खरीदार किन्नू के लिए कोई भी भाव देने को तैयार हो गए।
 
नाम मात्र की लागत
उद्यान विभाग के अधिकारी कहते हैं कि किन्नू के प्रति मोह धीरे धीरे बढ़ा है। पूर्व में दाम अधिक नहीं मिलते थे। इसलिए किसान इस पर अधिक समय नहीं लगाते थे। चूंकि लागत नाम मात्र की रहती है। इसलिए किसानों ने इससे दूरी नहीं बनाई। कम दामों में यह कैश क्रॉप की भूमिका को बखूबी निभाता रहा। बीते दो साल की मांग ने किन्नू के प्रति नजरिया ही बदल दिया है। अब हरेक किसान अपने खेत की खाली जगह में किन्नू के पेड़ लगाना चाहता है।

लागत में कम, प्राप्ति में दम
किन्नू की लागत न के बराबर है। इसका रखरखाव का खर्च भी न के बराबर है। इसका पौधा पौधा सहजता से मिल जाता है। यदि सही ग्रोथ रहे तो तीसरे साल से ही फल की प्राप्ति होने लगती है। चार साल में पेड़ के पूरे आकार में आने पर भरपूर फल मिलता है। नूरपुर तनौरा, बमरौली कटारा में खूब है।

हो रहा दोगुना मुनाफा
पिनाहट के कई किसान अपने खेतों में किन्नू की खेती कर रहे हैं। इससे वह आज बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। उनका कहना है कि किन्नू और मौसमी से आलू और गेंहू से दोगुना मुनाफा होता है। उन्होंने बताया कि जब उनको पहली बार किन्नू के बारे जानकारी मिली, तो दो लाख रुपये खर्च कर 45 बीघा खेत में किन्नू की बागवानी शुरू की थी। आज अच्छी कमाई हो रही है। हम पहले परंपरागत खेती करते थे, जिसमे काफी पैसा लगाना पड़ता था। 

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