प्रवासी भारतीय मतदाताओं के लिए ई-पोस्टल के प्रस्ताव पर चल रही है चर्चा: किरण रिजिजू
नई दिल्ली
नौकरी या किसी अन्य कारण से घर से दूर रहने वाले लोगों के लिए रिमोट वोटिंग का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में ये जानकारी दी है। राज्यसभा सदस्य राजीव शुक्ला ने गुरुवार को सरकार से पूछा था कि प्रवासियों के लिए रिमोट वोटिंग का कोई प्रस्ताव है या सरकार इस पर विचार कर रही है। वहीं, राज्यसभा में गुरुवार को किरण रिजिजू ने कहा कि प्रवासी भारतीय मतदाताओं के लिए इलेक्ट्रानिक रूप से प्रेषित डाक मतपत्र प्रणाली को सुविधाजनक बनाने के लिए चुनाव आयोग के एक प्रस्ताव पर विदेश मंत्रालय के साथ चर्चा की जा रही है, ताकि इसके कार्यान्वयन में शामिल चुनौतियों को दूर किया जा सके।
विदेशी मतदाताओं के लिए सरकार उठा रही कदम
राज्यसभा में गुरुवार को एक प्रश्न के लिखित जवाब में कानून मंत्री किरण रिजिजू ने भी कहा कि इस साल एक जनवरी को विदेशी मतदाताओं की कुल संख्या 1.15 लाख से अधिक थी। चुनाव आयोग ने विदेशी मतदाताओं के लिए इलेक्ट्रानिक रूप से प्रेषित डाक मतपत्र प्रणाली को सुविधाजनक बनाने के लिए चुनाव नियम,1961 के संचालन में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है। इस मामले में विदेश मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श किया जा रहा है। चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार, प्रवासी मतदाता को फोटो पहचान पत्र जारी नहीं किया जाता है, उन्हें अपने मूल पासपोर्ट के साथ मतदान केंद्र पर व्यक्तिगत रूप से मतदान करने की अनुमति दी जाती है। चुनाव आयोग ने कहा है कि प्रवासी मतदाताओं को वोट डालने के लिए भारत आने में मुश्किल होती है।
अदालती कार्यवाही एक प्रशासनिक मामला: रिजिजू
एक अन्य सवाल के जवाब में रिजिजू ने कहा कि अदालती कार्यवाही एक प्रशासनिक मामला है और पूरी तरह से न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। अदालती कार्यवाही सामान्य रूप से हो या आनलाइन, यह तय करना अदालत का काम है। उन्होंने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि सरकार सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए एक आसान, सुलभ और सस्ती न्यायिक प्रणाली सुनिश्चित करने के प्रयास कर रही है।
हाई कोर्ट में 334 रिक्तियों में केवल 118 के लिए कलेजियम की सिफारिश
कानून मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा में बताया कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में 334 रिक्तियों के लिए हाई कोर्ट कलेजियम द्वारा की गई 118 सिफारिशें विभिन्न चरणों में हैं, जबकि सरकार को अभी तक न्यायाधीशों की 216 रिक्तियों के लिए सिफारिशें प्राप्त नहीं हुई हैं। लिखित जवाब में उन्होंने कहा कि 10 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में कोई पद खाली नहीं था। 25 उच्च न्यायालयों में 1,114 न्यायाधीशों के पद स्वीकृत हैं, जिनमें 780 न्यायाधीश काम कर रहे थे। 334 पद रिक्त हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में उच्च न्यायालय द्वारा अनुशंसित कुल 118 प्रस्ताव हैं।