एससीओ के ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे शी चिनफिंग
बीजिंग
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अगले सप्ताह भारत की मेजबानी में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। एक आधिकारिक घोषणा में यह जानकारी दी गई।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर राष्ट्रपति शी चार जुलाई को एससीओ के प्रमुखों की 23वीं परिषद बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हिस्सा लेंगे। भारत की मेजबानी में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में शी के हिस्सा लेने के बारे में यह पहली आधिकारिक घोषणा है। भारत एससीओ का मौजूदा अध्यक्ष होने के नाते शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।
एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक व सुरक्षा संगठन है, जो सबसे बड़े अंतरक्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है। एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने की थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गत मंगलवार को यहां एससीओ सचिवालय में 'नयी दिल्ली भवन' का उद्घाटन किया था और इसे "मिनी इंडिया" करार देते हुए कहा था कि इससे देश की संस्कृति की बेहतर समझ विकसित होगी। उन्होंने कहा था, "आपको भारत की कलात्मक परंपरा और सांस्कृतिक पहचान से रू-ब-रू कराने के लिए भवन को पूरे भारत के समृद्ध वास्तुशिल्प कौशल का प्रतिनिधित्व करने वाले उत्कृष्ट 'पैटर्न' और रूपांकनों के साथ तैयार किया गया है।"
एससीओ शिखर सम्मेलन का आयोजन पिछले साल उज्बेक शहर समरकंद में किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन सहित संगठन के सभी शीर्ष नेताओं ने हिस्सा लिया था। भारत सितंबर में जी20 शिखर सम्मेलन की भी मेजबानी करेगा, जिसके लिए वह शी और पुतिन के अलावा समूह के अन्य नेताओं को आमंत्रित करने जा रहा है।
कोई खुफिया जानकारी इकट्ठा नहीं कर सका था अमेरिका में मार गिराया गया चीनी गुब्बारा
वाशिंगटन
इस साल फरवरी में अमेरिका में मार गिराया गया चीनी गुब्बारा कोई खुफिया जानकारी इकट्ठा नहीं कर सका था। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के इस दावे के बाद अमेरिका और चीन के बीच विवाद का कारण बने गुब्बारा प्रकरण के एक बार फिर गरमाने की उम्मीद है।
अमेरिका और चीन के बीच इसी साल फरवरी में एक जासूसी गुब्बारे को लेकर जबरदस्त तनाव पैदा हो गया था। अमेरिकी राज्य मोंटाना के आसमान में चीन के एक गुब्बारे को देखा गया था। चीन ने इसे आखिर तक मौसम की जानकारी इकट्ठा करने वाला मार्ग से भटका हुआ गुब्बारा करार दिया था। हालांकि, अमेरिकी वायुसेना ने इसे मार गिराया था। अब अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने दावा किया है जिस चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराया गया, उसने कोई भी खुफिया जानकारी इकट्ठा नहीं की थी।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने बताया कि न तो इस गुब्बारे ने कोई संवेदनशील डेटा इकट्ठा किया और न ही उसे चीन को भेजा। इस गुब्बारे में खुफिया जानकारी जुटाने की क्षमता थी, लेकिन यह अमेरिकी विशेषज्ञों का विश्लेषण है कि इस गुब्बारे ने अमेरिका के आसमान से गुजरते हुए कोई संवेदनशील डेटा नहीं जुटाया। राइडर ने कहा कि गुब्बारे के खिलाफ सख्त कदम उठाकर पेंटागन ने पहले ही ऐसी किसी कोशिश को रोक दिया था।
चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराने की घटना के बाद बीते कुछ महीनों से अमेरिका और चीन के रिश्तों में तनाव पैदा हो गया था। बीती 28 जनवरी को अमेरिका के राज्य अलास्का से एक जासूसी गुब्बारा अमेरिका के हवाई क्षेत्र में दाखिल हुआ था। इसके बाद वह अमेरिका के कई राज्यों से होकर गुजरा। इस दौरान उसने अमेरिका के कई संवेदनशील सैन्य ठिकानों के ऊपर से भी उड़ान भरी। जिसमें मोंटाना का सैन्य बेस भी शामिल है, जहां अमेरिका के परमाणु हथियार तैनात हैं। अमेरिकी सेना के अनुसार गुब्बारे का आकार तीन बसों के बराबर था। चार फरवरी को इस गुब्बारे को अमेरिका ने निशाना बनाकर अटलांटिक समुद्र में गिरा दिया था, जहां से उसके अवशेष बरामद कर लिए गए थे।