सूर्य देव को जल चढ़ाने से आते हैं अच्छे दिन, जान लें सही नियम
आमतौर पर ज्यादातर लोग सुबह उठकर सूर्यदेव को जल अर्पित करते हैं। हर रोज सूर्य देव को जल चढ़ाने का शास्त्रों में भी खास महत्व बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार नियमित रूप से सूर्य देव को अर्घ्य देने से समाज में मान सम्मान बढ़ता है, खूब तरक्की मिलती है। साथ ही कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है।
वहीं कहा जाता है कि यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक नहीं है या आए दिन कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो ऐसे में रोजाना सुबह सूर्य देव को जल देना चाहिए। क्योंकि सूर्य को जल चढ़ाने से बहुत सारे लाभ होते हैं। लेकिन उन्हें जल अर्पित करने से पहले कई बातों का ध्यान आपको जरूर रखना चाहिए। तो चलिए जानते हैं सूर्य देव को जल देते समय आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
सूर्य देव को जल चढ़ाने का सही तरीका
- वास्तु के अनुसार सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए हमेशा तांबे के लोटे का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
- इस बात का खास ध्यान रखें कि जल हमेशा सूर्योदय के दौरान ही चढ़ाएं।
- क्योंकि इस समय जल अर्पित करना काफी लाभदायक माना जाता है।
- सूर्य को जल देते समय अपना मुख पूर्व दिशा की ओर रखें।
- सूर्य देव को जल अर्पित करते से पहले लोटे में अक्षत, रोली, फूल इत्यादि डाल दें। उसके बाद सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं।
- सूर्य को जल देते समय 'ऊं आदित्य नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें।
- सूर्य देव को जल चढ़ाने के बाद जो जल जमीन पर गिरता है उसे लेकर अपने मस्तक पर लगा लें। कहा जाता है कि ऐसा करने से सूर्य देव आपकी सारी इच्छाएं पूरी करेंगे।
- अगर आपका सूर्य कमजोर है तो नियमित रूप से सूर्य देव को जल दें। ऐसा करने से काफी लाभ मिलेगा।
- लाल फूल भी सूर्य देव को अर्पित करना शुभ माना जाता है।
सूर्य देव के मंत्र
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ सूर्याय नम:
ॐ घृणि सूर्याय नम:
ॐ भास्कराय नमः
ॐ अर्काय नमः
ॐ सवित्रे नमः