राजनीति

‘संविधान कहता है UCC होना चाहिए’, समान नागरिक संहिता पर BJP के साथ खड़ी हुई AAP

नईदिल्ली

समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर छिड़ी बहस के बीच इस मुद्दे पर मोदी सरकार को आम आदमी पार्टी का समर्थन मिलता दिख रहा है. AAP के संगठन महासचिव संदीप पाठक ने आजतक के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा है कि आम आदमी पार्टी (AAP) समान नागरिक संहिता (UCC) का सैद्धांतिक समर्थन करती है.

संदीप पाठक ने बुधवार को कहा,'आर्टिकल 44 भी यह कहता है कि UCC होना चाहिए, लेकिन आम आदमी पार्टी का यह मानना है कि इस मुद्दे पर सभी धर्म और राजनीतिक दलों से बातचीत होनी चाहिए. सबकी सहमति के बाद ही इसे लागू किया जाना चाहिए.'

हालांकि, UCC को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता संदीप पाठक ने केंद्र की बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा है. संदीप पाठक ने कहा है कि यह भारतीय जनता पार्टी की कार्यशैली में शामिल है कि जब भी चुनाव आता है वह कॉम्प्लिकेटेड और कॉम्प्लेक्स मुद्दे लेकर आते हैं.

पाठक ने आगे कहा,'भाजपा को यूसीसी को इंप्लीमेंट करने और इस मुद्दे को सॉल्व करने से कोई लेना-देना नहीं है. भाजपा सिर्फ स्टेट ऑफ कंफ्यूजन क्रिएट करती है, ताकि देश में डिवाइड पैदा किया जा सके और फिर चुनाव लड़ा जा सके. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले 9 साल में काम किए होते तो काम का सहारा होता, प्रधानमंत्री को काम का सहारा नहीं है, इसलिए वह UCC का सहारा लेंगे.'

PM मोदी ने भोपाल में छेड़ा था UCC का मुद्दा

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के भोपाल में अपने संबोधन के दौरान UCC को लेकर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि भारत के मुसलमानों को यह समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल ऐसा कर रहे हैं. एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पायेगा क्या? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? ये लोग हम पर आरोप लगाते हैं. ये अगर मुसलमानों के सही हितैषी होते तो मुसलमान पीछे नहीं रहते. सुप्रीम कोर्ट बार-बार कह रहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लाओ, लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग ऐसा नहीं करना चाहते.

मुस्लिम देशों में प्रतिबंध की उठाई थी बात

पीएम मोदी ने आगे कहा था कि वोट बैंक के भूखे लोग मुस्लिम बहनों का बहुत नुकसान कर रहे हैं. तीन तलाक से नुकसान सिर्फ बेटियों का ही नहीं, बल्कि इसका दायरा इससे कहीं बड़ा है. इससे पूरे परिवार तबाह हो जाते हैं. अगर तीन तलाक कहकर किसी बेटी को कोई निकाल दे तो उसके पिता का क्या होगा, भाई का क्या होगा, पूरे परिवार इससे तबाह हो जाते हैं. तीन तलाक का इस्लाम में इतना ही अपरिहार्य होता तो कतर, जॉर्डन, बांग्लादेश, पाकिस्तान और इंडोनेशिया जैसे देशों में इसको क्यों प्रतिबंधित कर दिया. मिस्र ने आज से 90 साल पहले इसको खत्म कर दिया था. अगर इस्लाम से इसका संबंध होता तो इस्लामिक देश इसे क्यों खत्म करते. तीन तलाक का फंदा लटका कर कुछ लोग मुस्लिम बहनों पर अत्याचार की खुली छूट चाहते हैं.

क्या है समान नागरिक संहिता

समान नागरिक संहिता में सभी धर्मों के लिए एक कानून की व्यवस्था होगी. हर धर्म का पर्सनल लॉ है, जिसमें शादी, तलाक और संपत्तियों के लिए अपने-अपने कानून हैं. UCC के लागू होने से सभी धर्मों में रहने वालों लोगों के मामले सिविल नियमों से ही निपटाए जाएंगे. UCC का अर्थ शादी, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार और संपत्ति का अधिकार से जुड़े कानूनों को सुव्यवस्थित करना होगा.

इस्लामिक देशों में भी लागू है UCC

मुस्लिम देशों में पारंपरिक रूप से शरिया कानून लागू है, जो धार्मिक शिक्षाओं, प्रथाओं और परंपराओं से लिया गया है. न्यायविदों द्वारा आस्था के आधार पर इन कानून की व्याख्या की गई है. हालांकि, आधुनिक समय में इस तरह के कानून में यूरोपीय मॉडल के मुताबिक कुछ संशोधन किया जा रहा है. दुनिया के इस्लामिक देशों में आमतौर पर पारंपरिक शरिया कानून पर आधारित नागरिक कानून लागू हैं. इन देशों में सऊदी अरब, तुर्की, सऊदी अगर, तुर्की, पाकिस्तान, मिस्र, मलेशिया, नाइजीरिया आदि देश शामिल हैं. इन सभी देशों में सभी धर्मों के लिए समान कानून हैं. किसी विशेष धर्म या समुदाय के लिए अलग-अलग कानून नहीं हैं.

इनके अलावा इस्राइल, जापान, फ्रांस और रूस में समान नागरिक संहिता या कुछ मामलों के लिए समान दीवानी या आपराधिक कानून हैं. यूरोपीय देशों और अमेरिका के पास एक धर्मनिरपेक्ष कानून है, जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है फिर चाहे उनका धर्म कुछ भी हो.रोम में सबसे पहले नागरिक कानून के सिद्धांत बनाए गए थे. रोम के लोगों ने एक कोड विकसित करने के लिए सिद्धांतों का इस्तेमाल किया, जो निर्धारित करता था कि कानूनी मुद्दों का फैसला कैसे किया जाएगा.

फ्रांस में दुनिया में सबसे प्रसिद्ध नागरिक संहिताएं हैं.अमेरिका में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है, जबकि भारत की तरह यहां भी बहुत विविधता है. यहां कानून की कई लेयर्स हैं, जो देश, राज्य और काउंटी, एजेंसियों और शहरों में अलग-अलग लागू होती हैं. इन सबके बाद भी ये सामान्य सिद्धांत नागरिक कानूनों को राज्यों में इस तरह से नियंत्रित करते हैं जो पूरे देश में लागू होते हैं.

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button