मुसलमानों के खिलाफ नहीं अभियान, बाल विवाह को रोकने CM हिमंत बिस्वा सरमा का नया प्लान
गुवाहाटी
बाल विवाह पर असम की मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है। सीएम सरमा ने साफ कर दिया है कि इसे लेकर एक कड़े कानून पर विचार किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस अभियान के जरिए मुसलमान समुदाय को निशाना नहीं बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, 'बाल विवाह के खिलाफ लोकतंत्र और कानून का पहिया चलता रहेगा। असम में हम नया कानून लाने पर विचार कर रहे हैं, जो दोषियों के लिए 10 साल की सजा सुनिश्चित करेगा। बाल विवाह रुकना ही चाहिए। हम हमारी बेटियों के लिए इतना तो कर ही सकते हैं।' उन्होंने कहा कि गुवाहाटी हाईकोर्ट ने बाल विवाह के खिलाफ चलाए जा रहे सरकार के अभियान पर कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं की है।
मुसलमानों के खिलाफ नहीं है अभियान- सरमा
असम सीएम का कहना है कि सरकार का अभियान मुसलमानों को निशाना नहीं बना रहा था। उन्होंने बताया कि हिंदू और मुसलमानों में 55:45 का अनुपात था। उन्होंने बताया, 'जल्दी शादी कर दी गई 11 साल की मुस्लिम लड़की ने हमारे राज्य में एक बच्चे को जन्म दिया। क्या हम उन लोगों के खिलाफ शांत हो जाएं, जिन लोगों ने उसे इस हाल में डाला है?' सरमा ने बताया, 'जमीनी हकीकत अलग है, लेकिन हमने पुलिस को हमारे लोगों को ज्यादा उठाने के लिए कहा गया है। नहीं तो आप (विपक्ष) इस मामले को सांप्रदायिक बना देंगे। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 का डेटा बताता है कि यह मुद्दा सबसे ज्यादा ढुबरी और दक्षिण सलमारा में फैला है न कि डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया में।'
चलता रहेगा अभियान
सरमा का कहना है कि बाल विवाह की समस्या पूरी तरह खत्म होने तक हर 6 महीने में अभियान चलता रहेगा। उन्होंने जानकारी दी थी कि अप्रैल 2021 से लेकर फरवरी 2023 तक असम में बाल विवाह के 4 हजार 670 मामले सामने आए थे। इनमें 3 हजार 483 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। खास बात है कि 3098 गिरफ्तारियां 2023 के शुरुआती दो महीने में ही हुई हैं।