कश्मीरियत की पहचान अमरनाथ, हिंदू-मुस्लिम एकता का देंगे संदेश; फारूक और महबूबा की अपील
कश्मीर
कश्मीर में अमरनाथ यात्रा की 1 जुलाई से शुरुआत होने वाली है। सुरक्षा के इंतजामों से लेकर यात्रियों की सुविधाओं तक तमाम व्यवस्थाएं की जा रही हैं। इस बीच राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने एकता का संदेश देने की बात कही है। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अमरनाथ यात्रा तो कश्मीरियत की पहचान है। इस यात्रा के जरिए पूरे देश को हिंदू-मुस्लिम की एकता का संदेश देना है। उन्होंने कहा कि इस दौरान भाईचारा दिखता है और यही कश्मीरियत की झलक है। यह उन लोगों के लिए एक संदेश है, जो देश भर में धर्म के नाम पर नफरत फैलाते हैं।
अब्दुल्ला के अलावा महबूबा मुफ्ती ने भी लोगों से अपील की है कि वे अमरनाथ यात्रा को सफल बनाने में योगदान दें। मुफ्ती ने पीडीपी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, 'ऐसे समय में जब देश भर में मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है। उनकी दुकानों पर धर्म के नाम पर तोड़फोड़ हो रही है। तब यह यात्रा एक सुनहरा अवसर है कि इसके जरिए भाईचारे का संदेश दिया जाए। यह यात्रा हम सभी के लिए सुनहरा अवसर है और बताती है कि असल में कश्मीरियत क्या है।' उन्होंने अपने समर्थकों से अपील की है कि वे अमरनाथ यात्रा के दौरान शानदार मेजबान बनकर दिखाएं और अपने हिंदू भाईयों का स्वागत करें।
महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'यात्री हमारे मेहमान हैं और हमें उनकी शानदार मेजबानी करनी चाहिए। यह हमारी परंपरा रही है। हम अपने कार्यकर्ताओं से अपील करते हैं कि वे इस यात्रा को सफल बनाएं। मैं सरकार से भी अपील करूंगी कि वह स्थानीय लोगों को कोई परेशानी ना होने दे। यही स्थानीय लोग अमरनाथ यात्रियों के वास्तविक मेजबान हैं।' दो महीने तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा की 1 जुलाई से शुरुआत होनी है। इस यात्रा के दो रूट होते हैं, जिनमें से एक रूट गांदरबल के बालटाल होकर जाता है। इसके अलावा एक और रूट है, जो अनंतनाग के पहलगाम से होकर गुजरता है।
फिलहाल जम्मू-कश्मीर का प्रशासन इस यात्रा के लिए व्यवस्थाएं करने में जुटा है। इसके लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं। वहीं होटल, टेलिकॉम बूथ, टेंट और हॉस्पिटल जैसी सेवाओं को भी मजबूत किया जा रहा है ताकि यात्रियों को सुविधा मिल सके। फारूक अब्दुल्ला ने इस बीच बालटाल कैंप का दौरा किया और यात्रियों के लिए की गई व्यवस्थाओं का जायजा लिया।