जगदलपुर
बस्तर गोंचा पर्व की शुरूआत 4 जून देवस्नान पूर्णिमा चंदन जात्रा पूजा विधान के साथ प्रारंभ हो चुका है, भगवान जगन्नाथ स्वामी का अनसर काल 18 जून तक जारी रहेगा। इस दौरान भगवान के दर्शन नही होगे, 19 जून को भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र के दर्शन श्रीमंदिर के बाहर नेत्रोत्सव पूजा विधान के साथ श्रृद्धालू कर सकेगे। शताब्दियों से चली आ रही परम्परानुसार प्रति वर्ष बनने वाले बस्तर गोंचा पर्व के नए रथ का निर्माण बेड़ाउमरगांव के सिद्धहस्त कारीगर हरदेव के नेतृत्व में पांच सदस्यों की टीम कर रही है। रथ का निर्माण कर रहे बेड़ाउमरगांव के सिद्धहस्त कारीगर हरदेव ने बताया कि 19 जून तक 25 फीट ऊंची काष्ठ रथ बनकर तैयार हो जाएगा। उन्होने बताया कि बस्तर दशहरा के विशालकाय दुमंजिला रथ निर्माण एवं बस्तर गोंचा रथ का निर्माण उन्हीं के गांव के कारिगर करते हैं।
परंपरानुसार श्रीगोंचा रथयात्रा पूजा विधान के लिए निमार्णाधीन नया रथ आकार लेने लगा है। बस्तर के सिद्धहस्त कारीगरों के द्वारा रथ को अंतिम रूप दिया जा रहा है। नव निर्मित रथ में रथारूण होकर भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी 20 जून को श्रीगोंचा पूजा विधान के साथ ही जनकपुरी-गुडिचा मंदिर-सिरहासार भवन पहुंचेगे। बस्तर गोंचा पर्व के अक्षुण परंपराओं का निर्वहन 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के ब्राह्मणों द्वारा किया जाता है।
360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ईश्वर खंबारी ने बताया कि बस्तर गोंचा पर्व की तैयारी पूरे वर्ष जारी रहती है, भगवान जगन्नाथ के एक वर्ष के 12 माह में 13 पूजा विधान अनवरत चलते रहते हैं, जिसमें सबसे वृहद पूजा विधान बस्तर गोंचा पर्व में संपन्न किया जाता है। वर्तमान में 19 जून को नेत्रोत्सव पूजा विधान एवं 20 जून को श्रीगोंचा पूजा विधान की तैयारी जारी है। श्रीगोंचा पूजा विधान में नवनिर्मित गोंचा रथ सहित तीन रथों पर भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के 22 विग्रहों को रथारुढ़ कर श्रीगोंचा रथयात्रा पूजा विधान के साथ भगवान जगन्नाथ स्वामी जनकपुरी-गुडिचा मंदिर-सिरहासार भवन पहुंचेगे जहां 9 दिनों तक श्रृद्धालू भगवान के पुण्य दर्शन लाभ प्राप्त करेंगे। इस दौरान परंपरानुसार विविध पूजा विधान व अनुष्ठान बस्तर गोंचा पर्व के कार्यक्रम के अनुसार संपन्न होगें।