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कोहिनूर समेत बेशक़ीमती भारतीय विरासत की ब्रिटेन से वापसी मुमकिन है?

नईदिल्ली

 "न्यू साउथ वेल्स की आर्ट गैलरी से वृद्धाचलम अर्धनारीश्वर, ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय गैलरी से श्रीपुरंतन नटराज, लंदन से नालंदा बुद्ध, लंदन से ब्रह्म-ब्राह्मणी, लंदन से आनंदमंगलम राम समूह, टोलेडो संग्रहालय से गणेश, एशिया सोसाइटी न्यूयॉर्क से पुन्नैनल्लुर नटराज, बॉल स्टेट संग्रहालय से अलिंगना मूर्ति तिरुपंबपुरम वग़ैरह."
कलाकृतियों को वापस करने के लिए क्या व्यवस्था है?

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से चोरी की कलाकृतियों को वापस लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय क़ानून बनाने की जागरूकता आई है.

यूरोप में बोनेली एर्डे की कला और सांस्कृतिक फ़ोकस टीम के सलाहकार और सदस्य प्रोफ़ेसर मनिलियो फ़्रिगो सांस्कृतिक कलाकृतियों के विशेषज्ञ हैं, उनका कहना है कि सैद्धांतिक रूप से दो मुख्य बहुराष्ट्रीय संधियाँ हैं जो इन मामलों पर लागू होती हैं.

पहला, 1954 का हेग कन्वेंशन, जो युद्ध के समय लूटी गयी संपत्ति से संबंधित है. प्रोफ़ेसर मनिलियो फ़्रिगो कहते हैं, "यह संधि न केवल सांस्कृतिक संपत्ति की रक्षा करता है जैसे कि वास्तुकला, कला या ऐतिहासिक स्मारक, पुरातात्विक स्थल, कलाकृतियाँ, पांडुलिपियाँ, किताबें और ऐतिहासिक या पुरातात्विक महत्व की अन्य वस्तुएँ. यह सैन्य क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों से चुराई गई सांस्कृतिक संपत्ति को वापस करने का दायित्व भी निर्धारित करता है, भारत और ब्रिटेन इस संधि के पक्षकार हैं भारत ने 1958 में और यूके ने 2017 में इस पर दस्तख़त किए."

दूसरा बहुराष्ट्रीय समझौता है यूनेस्को (UNESCO)संधि जिसे 1970 में पारित किया गया और जो शांति के समय लूटे गए सामानों से ताल्लुक़ रखता है. प्रोफ़ेसर मनिलियो फ़्रिगो कहते हैं, "यह समझौता राज्यों से सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी को रोकने के उपाय करने का आग्रह करता है, इस समझौते का मुख्य पहलू चोरी की गई सांस्कृतिक संपत्ति की वापसी है."

1970 के यूनेस्को कन्वेंशन की कुछ कमियों को पूरा करने के लिए चोरी या अवैध रूप से निर्यात की गई सांस्कृतिक वस्तुओं पर रोम में 1995 में एक और संधि हुई. ये समझौता अवैध सांस्कृतिक वस्तु के मालिकों पर लागू होता है, इसलिए सांस्कृतिक वस्तु रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए इसे वापस करना अनिवार्य है, यह संधि दावों के लिए समय-सीमा भी निर्धारित करता है और सांस्कृतिक कलाकृतियों के अधिग्रहण के लिए उचित कोशिश की आवश्यकता निर्धारित करता है.

इन अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत अमेरिका ने 23 सितंबर, 2021 को, 2003 में इराक़ पर क़ब्ज़े के बाद चुराई गई 17 हज़ार से अधिक कलाकृतियों को इराक़ को लौटा दिया है.

लेकिन ये तमाम अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन मध्यकाल में लूटे गए सांस्कृतिक कलाकृतियों पर लागू नहीं होते. इसका मतलब ये हुआ कि आधुनिक भारत में लूटी हुई सांस्कृतिक कलाकृतियों की ही वापसी का दावा किया जा सकता है. भारत जब ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन था, उस समय लूटी गई क़ीमती चीज़ें इन अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत नहीं आतीं. 

Pradesh 24 News
       
   

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