मेट्रो स्टशनों के कनेक्टिविटी बाजारों, रहवासी एरिया और कार्यलयों से आसान होगी
भोपाल
शहर में मेट्रो का काम धीरे धीरे तेज हो रहा है। इस दौरान इस बात का खास ध्यान रखा जा रहा है कि अधिक से अधिक यात्री मेट्रो में बैठें। ऐसा तभी होगा जब मेट्रो के स्टशनों के कनेक्टिविटी बाजारों, रहवासी एरिया और कार्यलयों से आसान होगी।
भोपाल में हब एंड स्पोक मॉडल पर 30 किमी लंबे मेट्रो रूट को आम लोगों से कनेक्ट करने के लिए ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) की तैयारी की जा रही है। इस 30 किमी लंबे रूट को 15 लोकल एरिया प्लान (एलएपी) में बांटा जाएगा। यानी इस रूट में मेट्रो के 30 स्टेशन होंगे और हर दो स्टेशन के बीच एक एलएपी बनाया जाएगा। यह एलएपी ऐसा होगा कि मेट्रो के दो स्टेशन के बीच चारों ओर 500 मीटर दायरे में रहने वाले लोग अपने घर से वर्कप्लेस, बाजार, अस्पताल, स्कूल-कॉलेज आदि जगहों पर पैदल आना जाना कर सकेंगे। इस 500 मीटर से दूर जाने के लिए उन्हें घर के पास ही मेट्रो ट्रेन मिलेगी।
इसका फायदा ये होगा कि कोई भी व्यक्ति अपने वाहन का इस्तेमाल बहुत जरूरत होने पर ही करेगा। जिससे सड़क पर बढ़ रही वाहनों की भीड हो जाएगी। एमडी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन मनीष सिंह ने बताया कि टीओडी के तहत एलएपी बनाने की जिम्मेदारी स्कूल आॅफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (एसपीए) को सौंपी है। दिसंबर 2022 से अब तक एसपीए 11 प्रोफेसर्स और 15 रीसर्चर इस प्लान पर काम कर रहे हैं। प्लान तैयार करने के लिए उन्हें मेट्रो रूट के 500-500 मीटर दायरे में आने वाले हर भवन की ऊंचाई, उनमें रहने या काम करने वाले लोगों का डेटा कलेक्ट करना है।
मेट्रो की राइडरशिप बढ़ाना
हर एलएपी का मकसद आम लोगों के लिए अपने निजी वाहनों की जरूरत को कम कर मेट्रो की राइडरशिप बढ़ाना है। इससे न केवल मेट्रो प्रोजेक्ट को सक्सेस मिलेगी बल्कि सड़कों पर वाहन भी कम होंगे। इसके अलावा पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मेट्रो रूट से कनेक्ट भी किया जाएगा।
लैंडवैल्यू कैप्चर फ्रेमवर्क करना
एलएपी के 500 मीटर दायरे में आने वाले इलाके में लैंडवैल्यू कैप्चर फ्रेमवर्क भी किया जाएगा। यानी इस इलाके में हर वो सुविधा की प्लानिंग की जाएगी, जो हर व्यक्ति की जरूरत है। इसके लिए इलाके के लैंडयूज में भी बदलाव किए जाएंगे।
दोनों मेट्रो का मॉडल अलग-अलग
भोपाल मेट्रो का रूट हब एंड स्पोक मॉडल (एक तरह का डिस्ट्रीब्यूशन मेथड) पर है। यहां बरखेड़ी में एक सेंटर प्वाइंट बनेगा और यहीं से पूरे रूट की कनेक्टिंग मेट्रो मिल जाया करेगी। इसलिए यहां मेट्रो को सक्सेस करने की चुनौतियां ज्यादा रहेंगी।
इंदौर में मेट्रो का रूट रिंगशेप मॉडल पर आधारित है। इसमें एक प्वाइंट से मेट्रो में सवार यात्री पूरा रूट तय कर वापस वहीं आकर रु क सकेगा, जहां से यात्रा शुरू की थी। इसलिए यहां चुनौतियां कम हैं।