उत्तरप्रदेशराज्य

गैंगस्टर संजीव की हत्या के लिए प्लान बी भी था तैयार, बैकअप में थे 3 शूटर

 लखनऊ

लखनऊ में गैंगस्टर संजीव उर्फ जीवा की कोर्ट में हुई हत्या के मामले में SIT ने जांच तेज कर दी है. बीती रात जांच टीम मौके पर पहुंची. करीब घंटे भर तक वहां का मुआयना किया. एडीजी प्रवीण कुमार और अन्य सदस्यों ने तमाम पहलुओं पर रिपोर्ट बनाई.

 गैंगस्टर संजीव जीवा पर 6 गोलियां दागी गई. पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल रिवॉल्वर को बरामद कर लिया है. इस बीच खुलासा हुआ कि हत्यारों ने प्लान बी भी तैयार किया था.

गैंगस्टर संजीव जीवा की हत्या करने पहुंचे शूटरों ने प्लान बी भी तैयार कर रखा था. शूटर के साथ 3 लोग मौजूद थे, जो शूटर को बैकअप दे रहे थे और मर्डर मिस होने पर तीनों बैकअप सपोर्ट करते. तीन लोगों के साथ शूटर जीवा की हत्या करने पहुंचा था. मुख्य शूटर ने 7 दिनों में रेकी की और फिर हत्या को अंजाम दिया.

हत्या से पहले शूटर कई बार कोर्ट आया और जीवा से जुड़ी जानकारी इकट्ठा की. यही नहीं शूटर ने जिस कोर्ट रूम में हत्या की, वह एक से दो बार उसी कोर्ट में पहले भी जाकर रेकी की. शूटर ने रिवॉल्वर कोर्ट परिसर के अंदर छिपा कर रखी हुई थी. जिस magnum.375 रिवॉल्वर से संजीव जीवा को गोली मारी गई वो prohibited bore है.

रिवॉल्वर से सभी 6 गोली संजीव जीवा को लगी है. आरोपी से बरामद रिवॉल्वर को पुलिस के armorer से जांच के लिए भेजा जाएगा. इस बीच पोस्टमार्टम में खुलासा हुआ कि संजीव जीवा को 6 गोली मारी गई थी. 4 सीने में लगी और 2 गोली सीने से थोड़ी नीचे लगी है. संजीव जीवा की हत्या प्रोफेशनल शूटर की तरह की गई.

क्या है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में न्यायालय की दहलीज पर फिर एक माफिया की पुलिस की सुरक्षा में कोर्टरूम के भीतर ही गोली मारकर हत्या कर दी गई है. मारा जाने वाला माफिया संजीव माहेश्वर उर्फ जीवा है. संजीव जीवा कोई आम आदमी नहीं… ये तो माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी था. संजीव जीवा पर एक बीजेपी विधायक की हत्या की थी.

आजीवन कारावास की सजा काटते संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव को एक शूटर ने बुधवार को सैकड़ों वकीलों, ना जाने कितने पुलिसवालों के सामने ही कोर्ट के भीतर गोली मार दी. संजीव जीवा की हत्या सिर्फ एक माफिया की हत्या नहीं, बल्कि अदालत में घुसकर उत्तर प्रदेश में पुलिस और लॉ एंड ऑर्डर के सारे दावों को छलनी किया गया है.

क्योंकि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास से सिर्फ 7 किमी दूर, डीजीपी ऑफिस से 10 किमी दूर,  कार्यवाहक सीपी पीयूष मोर्डिया के दफ्तर 5.5 किमी दूर, ज्वाइंट सीपी लॉ एंड ऑर्डर उपेंद्र अग्रवाल के दफ्तर से तो बमुश्किल 10 मिनट की दूरी पर कोर्टरूम के भीतर तक दौड़ाकर गोली मारी गई है.

53 दिन में दूसरी बड़ी वारदात

15 अप्रैल को अतीक अहमद को पुलिस की सुरक्षा में दर्जन भर पुलिसवालों के घेरे में तीन शूटर मारते हैं. 53 दिन के भीतर  अब 7 जून को कोर्टरूम के भीतर पुलिस-जज-वकील के सामने एक शूटर माफिया संजीव उर्फ जीवा को गोली मारकर जान ले लेता है. दोनों की जांच ही हो रही है. एक कि साढ़े सात हफ्ते से चल रही है. एक की अब शुरू हो चुकी है.

नौसिखिए अपराधी बेखौफ

यूपी में पुलिस के सामने ही कत्ल की दो बड़ी वारदात हुई हैं. पुलिस के सामने पहले पत्रकार के भेस में शूटर आए. अब पुलिस के सामने वकील के भेस में शूटर आया. यूपी में पुलिस के सामने ही नौसिखिए अपराधी बेखौफ होकर गोली चला रहे हैं. यूपी में पुलिस के सामने ही बड़े बड़े माफिया को ऐसे अपराधी गोली मार रहे, जिनकी पहले कोई बड़ी केस हिस्ट्री नहीं.

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